Assemble Computer Hindi Tutorial

आईटीआई कोपा प्रैक्टिकल | कंप्यूटर असेंबल करना सीखें

💻 Assembling a Desktop Computer | Step by Step Practical Guide


आईटीआई कोपा | कंप्यूटर प्रैक्टिकल | कंप्यूटर असेंबल करना


(आईटीआई कम्प्यूटर ऑपरेटर एण्ड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट के स्टूडेंट्स के लिए प्रैक्टिकल गाइड)


पिछले चैप्टर में आपने कम्प्यूटर के विभिन्न कंपोनेन्ट के बारे में जानकारी प्राप्त की एवं उनके उपयोग के बारे में सीखा। आईटीआई कम्प्यूटर ऑपरेटर एण्ड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट के इस प्रैक्टिकल में कम्प्यूटर के विभिन्न कंपोनेन्ट का उपयोग करके कंप्यूटर को असेंबल करना सीखेंगे। इसके लिए निम्न स्टेप्स को फॉलो करें।


भाग 1: आवश्यक कंपोनेन्ट (Requirements)

कम्प्यूटर असेम्बल करने के लिए निम्न कंपोनेन्ट की आवश्यकता होगी।



मदरबोर्ड (Motherboard):


यह कंप्यूटर का मुख्य सर्किट बोर्ड है, जिस पर सभी इन्टर्नल पार्ट कनेक्ट होते हैं। विभिन्न कम्प्यूटर कार्य जैसे सामान्य ऑफिस वर्क, गेमिंग, ग्राफिक्स डिजाइन आदि के अनुसार मदरबोर्ड को सिलेक्ट किया जाना चाहिए।

सीपीयू (CPU - Central Processing Unit):


CPU कंप्यूटर का दिमाग होता है, हमेशा मदरबोर्ड के लिए कम्पैटिबल CPU का प्रयोग किया जाना चाहिए। मदरबोर्ड पर मौजूद सॉकेट के अनुसार ही इसको सिलेक्ट किया जाना चाहिए।

सीपीयू कूलर (CPU Cooler):


सीपीयू को ठंडा रखने के लिए CPU कूलर का प्रयोग किया जाता है। हमेशा अच्छी क्वालिटी का CPU कूलर चुनना चाहिए।

रैम (RAM - Random Access Memory):


यह कंप्यूटर की अस्थायी मेमोरी है। किसी भी मदरबोर्ड में 2 से लेकर 8 तक रेम स्लॉट हो सकते हैं। कम्प्यूटर में 8 / 16 / 32 या 64 GB की रेम का प्रयोग किया जा सकता है।

स्टोरेज डिवाइस (Storage Device):


कम्प्यूटिंग की आवश्यकतानुसार हार्ड डिस्क का प्रयोग किया जाता है, जहाँ आपका डेटा स्टोर होता है।। इसके लिए एसएसडी (SSD) या एचडीडी (HDD), का प्रयोग किया जा सकता है। आवश्यकतानुसार दोनों को भी उपयोग किया जा सकता है।

पावर सप्लाई यूनिट (PSU):


पॉवर सप्लाई अथवा SMPS का प्रयोग कम्प्यूटर के सभी कंपोनेन्ट्स को पॉवर देता है, यह कम्प्यूटर केस के अनुसार ATX अथवा माइक्रो ATX हो सकती है। सामान्यतः 450 वाट या अधिक पॉवर की SMPS का प्रयोग किया जाता है।

ग्राफिक्स कार्ड (Graphics Card):


ग्राफिक्स कार्ड डिस्प्ले को मैनेज करता है, सामान्य कार्यों के लिए मदरबोर्ड के इन-बिल्ड कार्ड का प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन गेमिंग और ग्राफिक्स के कार्यों के लिए हाई एण्ड ग्राफिक्स का प्रयोग ज़रूरी होगा।

केसिंग (Casing):


कम्प्यूटर केसिंग / कैबिनेट के अंदर सभी इन्टर्नल कंपोनेन्ट्स को फिट किया जाता है, जो कि उन्हें सुरक्षित रखता है। आवश्यकतानुसार इसको सिलेक्ट किया जा सकता है।

भाग 2: असेंबली प्रक्रिया (Assembly Process)


मदरबोर्ड एवं अन्य सभी कंपोनेन्ट्स को सिलेक्ट करने के बाद कम्प्यूटर असेंबली का कार्य शुरू किया जाता है, इसके लिए निम्न स्टेप्स को फॉलो करें।


स्टेप 1: सीपीयू को मदरबोर्ड पर लगाना



सबसे पहला कार्य मदरबोर्ड पर CPU को फिट करना है, इसे दिए गए चित्र अनुसार सावधानी पूर्वक पूरा करेंगे।




1

सबसे पहले, मदरबोर्ड के सीपीयू सॉकेट के लीवर को ऊपर उठाएं।

2

सीपीयू को सावधानी से सॉकेट में रखें, यह सुनिश्चित करें कि सीपीयू पर बने त्रिकोणीय निशान (triangle mark) और सॉकेट पर बने निशान आपस में मिल रहे हों।

3

इसके बाद, लीवर को वापस नीचे करके लॉक कर दें।



स्टेप 2: सीपीयू कूलर लगाना



अब सीपीयू कूलर को चेक कर निम्न स्टेप्स को ध्यान से पूरा करें।




1

सीपीयू कूलर पर यदि पहले से थर्मल पेस्ट नहीं है, तो थोड़ा थर्मल पेस्ट सीपीयू पर लगाएँ ।

2

सीपीयू कूलर को मदरबोर्ड में सावधानी से फिट करें।

3

सीपीयू_फैन (CPU_FAN) को पॉवर कनेक्टर से जोड़ें।


स्टेप 3: रैम को फिट करना



अब रैम को मदरबोर्ड में लगाने के लिए निम्न स्टेप्स को पूरा करेंगे।




1

मदरबोर्ड के कम्पैटिबल रैम को सिलेक्ट करें।

2

मदरबोर्ड के रैम स्लॉट में, रैम के नॉच स्लॉट (notch slot) से मिलाकर उस पर रैम रखें।

3

दोनों तरफ से हल्का दबाव डालें, जिससे 'क्लिक' की आवाज आएगी। जिससे स्लॉट के दोनों क्लिप बंद हो जाएंगे। यह सुनिश्चित करें कि रैम पूरी तरह से स्लॉट में फिट हो गई है।




स्टेप 4: मदरबोर्ड को केस में लगाना



कम्प्यूटर केस में मदरबोर्ड को फिक्स करने के लिए निम्न स्टेप्स फॉलो करें।




1

कम्प्यूटर केस / कैबिनेट के साइड पैनल को खोलें।

2

मदरबोर्ड को सावधानीपूर्वक कैबिनेट के अंदर फिक्स करें।

3

केस पर फिट करने के बाद इसे स्क्रू से टाइट करें, जिससे यह हिले नहीं।


स्टेप 5: Graphics कार्ड लगाना



मदरबोर्ड पर ग्राफिक्स कार्ड को लगाने के लिए निम्न स्टेप्स फॉलो करें।




1

गेमिंग अथवा ग्राफिक्स डिज़ाइनिंग के कार्य की आवश्यकता के अनुसार ग्राफिक्स कार्ड को सिलेक्ट करें।

2

PCI स्लॉट जिस पर ग्राफिक्स कार्ड लगाना है, उसमें सावधानीपूर्वक ग्राफिक्स कार्ड को इन्सर्ट ।

3

ग्राफिक्स कार्ड को केस में स्क्रू से फिट करें, आवश्यकतानुसार पॉवर कनेक्शन करें।


स्टेप 6 : पावर सप्लाई यूनिट (PSU) लगाना



पावर सप्लाई यूनिट (PSU)/SMPS को लगाने के स्टेप्स निम्नानुसार हैं।




1

सबसे पहले पावर सप्लाई यूनिट कम्प्यूटर केस में फैन को बाहर की तरफ करते हुए फिक्स करे।

2

पावर सप्लाई यूनिट को स्क्रू से टाइट कर दें।

3

पावर सप्लाई यूनिट के 24 पिन एवं 8 पिन पॉवर कनेक्टर को मदरबोर्ड पर लगाएं।


स्टेप 7 : स्टोरेज डिवाइस (हार्ड डिस्क) लगाना



स्टोरेज डिवाइस के रूप में एसएसडी या एचडीडी का प्रयोग किया जा सकता है।




1

कार्य की आवश्यकतानुसार स्टोरेज डिवाइस के रूप में हार्ड डिस्क ड्राइव (HDD) अथवा सॉलिड स्टेट ड्राइव (SSD) को सिलेक्ट करें।

2

हार्ड डिस्क को कैबिनेट में लगा कर स्क्रू से टाइट कर दें।

3

हार्ड डिस्क को पॉवर कनेक्टर एवं SATA कनेक्टर से कनेक्ट करें।


भाग 3: केबल कनेक्शन


सभी पार्ट्स को लगाने के बाद अब सबसे महत्वपूर्ण कार्य केबल कनेक्ट करना है।



1

पावर केबल: पीएसयू से आने वाले 24-पिन और 8-पिन सीपीयू केबल्स को मदरबोर्ड से जोड़ें।

2

स्टोरेज केबल: एसएसडी को पीएसयू केबल और मदरबोर्ड से साटा केबल (SATA cable) के साथ जोड़ें।

3

फ्रंट पैनल केबल्स: केस के फ्रंट पैनल से आने वाले पावर बटन, रीसेट बटन, यूएसबी पोर्ट्स के तारों को मदरबोर्ड पर सही जगह से जोड़ें। यह सबसे मुश्किल काम हो सकता है, इसलिए मदरबोर्ड मैनुअल का इस्तेमाल करें।


भाग 4: अंतिम जांच और निष्कर्ष


सभी कनेक्शन की एक बार जांच करें। सुनिश्चित करें कि सब कुछ अपनी जगह पर है। अब केस का साइड पैनल बंद करें।



अब बस कंप्यूटर को मॉनिटर, कीबोर्ड और माउस से कनेक्ट करें और पावर बटन दबाएं!

कम्प्यूटर को स्टार्ट करने पर यह सबसे पहले पॉवर ऑन सेल्फ टेस्ट के द्वारा सभी हार्डवेयर कम्पोनेन्ट की जांच करेगा, सभी कनेक्शन सही होने पर यह स्क्रीन पर मदरबोर्ड की जानकारी डिस्प्ले करेगा।
बधाई हो, आपने अपना खुद का कंप्यूटर असेंबल कर लिया है।


उम्मीद है कि यह गाइड आपके लिए मददगार रहा होगा। अगर आपके कोई सवाल हैं, तो कमेंट सेक्शन में ज़रूर पूछें।


वीडियो ट्यूटोरियल | कम्प्यूटर असेंबलिंग कैसे करें?


इस वीडियो में कंप्यूटर के विभिन्न पार्ट्स का उपयोग करके कम्प्यूटर असेम्बल करना सीखेंगे। इसके अंतर्गत कम्प्यूटर हार्डवेयर कंपोनेनट्स , कम्प्यूटर के इन्टर्नल को कनेक्ट करना, असेंबली प्रक्रिया (Assembly Process) के अंतर्गत मदरबोर्ड का सिलेक्शन, प्रोसेसर को मदरबोर्ड पर लगाना, सीपीयू कूलर लगाना, रैम को फिट करना, मदरबोर्ड को केस में लगाना, ग्राफिक्स कार्ड लगाना, पावर सप्लाई यूनिट (PSU) लगाना, स्टोरेज डिवाइस (हार्ड डिस्क) लगाना तथा फ्रंट पैनल केबल्स को कनेक्ट करना सीखेंगे।











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Introduction to Computers in Hindi

Introduction to Computers | कम्प्यूटर्स का परिचय

💻 कम्प्यूटर्स संबंधी आधारभूत जानकारी | Basic Computer information


"कंप्यूटर" (Computer) शब्द "Compute" शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है, "गणना करना"। इसलिए आमतौर पर कंप्यूटर को कैलकुलेटिंग डिवाइस माना जाता है जो उच्च गति (High Speed) पर अंकगणितीय (Arithmatic) ऑपरेशन कर सकते हैं। वास्तव में कंप्यूटर का आविष्कार करने का मूल उद्देश्य तेजी से गणना करने वाली मशीन बनाना था। हालाँकि, आज कंप्यूटर द्वारा किए जा रहे 80% से अधिक कार्य गैर-गणितीय या गैर-संख्यात्मक प्रकृति के हैं।

कम्प्यूटर आज की दुनिया में रोजमर्रा की जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। कई लोग अपने किए गये कामों का रिकॉर्ड रखने के लिए, गणना या हिसाब करने के लिए, जानकारी ढूँढने के लिए, संगीत और तस्वीरों का संग्रह करने के लिए, गेम खेलने के लिए और दूसरों से बातचीत करने के लिए कम्प्यूटर का इस्तेमाल करते हैं। आज का युग कम्प्यूटर का युग है। हम सभी किसी न किसी रूप में कम्प्यूटरों से प्रभावित हैं। कम्प्यूटर अब आय-व्यय का हिसाब रखने व आर्थिक व्यवस्था का विश्लेषण करने जैसे अनेक महत्त्व पूर्ण कार्यों में उपयोग में लिए जा रहे हैं। बैंकों में ये ग्राहकों के रूपये-पैसे का हिसाब रख रहे हैं, होटलों तथा अस्पतालों में ये व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने व ग्राहकों के बिल शीघ्रता से तैयार करने के कार्य कर रहे हैं। रेलगाड़ी तथा वायुयान सेवाओं में ये सीटें आरक्षित कर रहे हैं। कम्प्यूटर ने हमारे काम करने और जीने का ढंग ही बदल दिया है।

कम्प्यूटर की कार्य प्रणाली | How Computer Works?


कम्प्यूटर एक आज्ञाकारी सेवक है जो कि आप के दिए गए आदेशों का तुरंत पालन करता है। अंतर केवल इतना है कि कम्प्यूटर की अपनी कोई बुद्धि नहीं होती। अतः कोई भी कार्य करवाने के लिए उसे संपूर्ण व स्पष्ट आदेश देने होते हैं। कम्प्यूटर से किसी कार्य को करवाने के लिए दिए जाने वाले आदेशों की क्रमबद्ध सूची को प्रेाग्राम कहते हैं। जिन सूचना या आँकड़ों पर गणना की जाती है उसे डेटा कहा जाता है।


कम्प्यूटर जो कार्य कर सकता है, उसके संदर्भ में भी कम्प्यूटर को परिभाषित किया जा सकता है। कम्प्यूटर डाटा को ग्रहण (accept) कर सकता है, डाटा का भंडारण (store) कर सकता है>, डाटा को इच्छित रूप में संशोधित (process) कर सकता है तथा आवश्यकता पड़ने पर संग्रहित डाटा को पुर्नप्राप्त (retrieve) कर सकता है और परिणाम को मनचाहे फॉर्मेट में प्रिंट कर सकता है।

कम्प्यूटर को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है :

“कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाईस / मशीन है जो-
  ↪   निश्चित निर्देशों के आधार पर कार्य करता है।
  ↪   कम्प्यूटर के उपयोगकर्ता द्वारा विभिन्न डेटा प्राप्त करता है।
  ↪   प्रोग्राम के आधार पर डेटा को परिवर्तित करता है।
  ↪   आवश्यक परिणाम / सूचना प्रदान करता है।
  ↪   सूचना को सुरक्षित रखता है। ”

कम्प्यूटर का ब्लॉक डायग्राम | Block Diagram of Computer


कम्प्यूटर मुख्यतः यूज़र द्वारा इनपुट प्राप्त करता है, दिए गए निर्देशों के आधार पर डेटा प्रोसेसिंग करता है एवं आउटपुट के रूप में सूचना / इनफार्मेशन प्रदान करता है. इन कार्यों को संपन्न करने के लिए इनपुट यूनिट, सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट एवं आउटपुट यूनिट का प्रयोग किया जाता है.

कम्प्यूटर सिस्टम के मुख्य भाग | Parts of Computer System


कम्प्यूटर सिस्टम के मुख्य भाग (Main Parts of Computer System) को मुख्य रूप से चार भागों में बाँटा गया है:
🖥️ 1. इनपुट डिवाइस (Input Devices)
⚙️ 2. सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU – Central Processing Unit)
💾 3. मेमोरी/स्टोरेज डिवाइस (Memory/Storage Devices)
🖨️ 4. आउटपुट डिवाइस (Output Devices)

इनपुट यूनिट (Input Unit)



इनपुट यूनिट द्वारा कम्प्यूटर को डाटा या निर्देश दिए जाते है. इनपुट, डाटा और प्रोग्राम को कम्प्यूटर सिस्टम में प्रविष्ट (enter) करने की प्रक्रिया है। इनपुट डिवाइस के द्वारा हम अपने डाटा या निर्देशों को कंप्यूटर में इनपुट (Input) करा सकते हैं । कंप्यूटर में कई इनपुट डिवाइस होते है ये डिवाइस कंप्यूटर के मस्तिष्क (CPU) को निर्देशित करती है की वह क्या कार्य करेगा? इनपुट डिवाइस कई रूप में उपलब्ध है तथा सभी के विशिष्ट उद्देश्य है टाइपिंग के लिये हमारे पास की बोर्ड (Keyboard) होते है, जो हमारे निर्देशों को टाइप करने के काम आता है। इसी प्रकार माउस है जिसके द्वारा क्लिक करके हम कम्प्यूटर को निर्देश देते हैं।

“इनपुट डिवाइस (Input Device) वे डिवाइस हैं, जो निर्देशों या आदेशों को कम्प्यूटर के मष्तिष्क, सी.पी.यू. (C.P.U.) तक पहुचाते हैं।"

कम्प्यूटर के प्रमुख इनपुट डिवाइस निम्न है :
  ↪   Keyboard
  ↪   Mouse
  ↪   Joystick
  ↪   Trackball
  ↪   Light pen
  ↪   Touch screen
  ↪   Digital Camera
  ↪   Scanner
  ↪   Bar Code Reader
  ↪   OMR
  ↪   OCR
  ↪   MICR

सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit)



सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) को C.P.U. कहा जाता है। इसका हिंदी नाम केन्द्रीय संसाधन इकाई होता हैं। यह Computer का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता हैं। अर्थात इसके बिना Computer सिस्टम पूर्ण नहीं हो सकता है, इस यूनिट से सभी Device जुड़े हुए रहते है जैसे- Keyboard, Mouse, Monitor आदि ।

CPU को Computer का मस्तिष्क (Brain) भी कहते है। इसका मुख्य कार्य प्रोग्राम (Programs) को क्रियान्वित (Execute) करना है इसके अलावा C.P.U Computer के सभी भागो, जैसे- Memory, Input, Output Devices के कार्यों को भी नियंत्रित करता हैं।


C.P.U (Central Processing Unit) के तीन भाग होते है –
  ↪   कण्ट्रोल यूनिट (C.U.)
  ↪   अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट (A.L.U.)
  ↪   मेमोरी (Memory)

कंट्रोल यूनिट (Control Unit - CU)



यह कम्प्यूटर के भीतरी आपरेशनों को नियंत्रित करता है। इनपुट, आउटपुट, प्रोसेसिंग, तथा भंडारण (स्टोरेज) की प्रक्रिया कंट्रोल यूनिट के निरीक्षण में की जाती है। यह निर्धारित करता है कि डाटा प्राप्त करना कब प्रारंभ किया जाए तथा डाटा प्राप्त करना कब बंद किया जाए, और डाटा का भंडारण कहाँ किया जाए इत्यादि। यह ध्यान देता है कि क्रमबद्ध प्रोसेस द्वारा कम्प्यूटर के आंतरिक कार्यों को किस प्रकार संपन्न किया जाए।


“कंट्रोल यूनिट (Control Unit) हार्डवेयर कि समस्त क्रियाओं को नियंत्रित और संचालित करता हैं। यह Input, Output क्रियाओं को नियंत्रित (Control) करता है साथ ही Memory और A.L.U. के मध्य डाटा के आदान प्रदान को निर्देशित करता है यह प्रोग्राम (Program) को क्रियान्वित करने के लिये निर्देशों को मेमोरी से प्राप्त करता हैं। निर्देशों को यह उचित डिवाइस तक पहुँचाता हैं।”

अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट (ALU)



अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट (ALU) द्वारा मुख्य रूप से सभी गणितीय गणनाए जैसे - जोड़ना, घटाना, गुणा करना, भाग करना, एवं तार्किक और तुलनात्मक कार्य किए जाते हैं। एरिथटिक एवं लॉजिक यूनिट को संक्षेप में A.L.U कहते हैं। यह यूनिट डाटा पर अंकगणितीय क्रियाएँ (जोड़, घटाना, गुणा, भाग) और तार्किक क्रियायें (Logical operation) करती हैं।

अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट (ALU), कण्ट्रोल यूनिट (Control Unit) से निर्देश लेता हैं। यह मेमोरी (memory) से डाटा को प्राप्त करता है तथा Processing के पश्चात सूचना को मेमोरी में लौटा देता हैं। अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट (ALU) के कार्य करने की गति (Speed) अति तीव्र होती हैं। यह लगभग 1000000 गणनाये प्रति सेकंड (Per Second) की गति से करता हैं। इसमें ऐसा इलेक्ट्रॉनिक सर्किट होता है जो बाइनरी अंकगणित (Binary Arithmetic) की गणनाएँ करने में सक्षम होता हैं। यह उपयोगकर्ता की आवश्यकता अनुसार डाटा को संशोधित करता है।


“एएलयू (ALU) और सीयू (CU) को संयुक्त रूप से सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू) कहा जाता है। सीपीयू को कम्प्यूटर सिस्टम का मस्तिष्क भी कह सकते हैं।”

मेमोरी यूनिट (Memory Unit)



मेमोरी यूनिट डाटा को संग्रहित करता है, डाटा और निर्देशों को संग्रहित करने के लिये कम्प्यूटर मेमोरी का प्रयोग किया जाता है। यह Input Device के द्वारा प्राप्त डेटा एवं निर्देशों को Computer में संग्रहण (Store) करके रखता है इसे Computer की याददाश भी कहाँ जाता है। मानव में कुछ बातों को याद रखने के लिये मष्तिस्क होता है, उसी प्रकार कम्प्यूटर मेमोरी (Memory) हैं। यह मेमोरी C.P.U का अभिन्न अंग है, इसके लिए संग्राहक उपकरण (Storage Device) का प्रयोग किया जाता हैं। अतः इसे Computer की मुख्य मेमोरी (Main memory), आंतरिक मेमोरी (Internal Memory), या प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory) भी कहते हैं।


“कम्प्यूटर का वह स्थान जहाँ सभी सूचनाओ, आकडों या निर्देशों को Store करके रखा जाता है मेमोरी कहलाती हैं।”


मेमोरी दो प्रकार की होती है:

प्राइमरी मेमोरी (RAM, ROM) → CPU के साथ सीधे जुड़ी होती है।

सेकेंडरी स्टोरेज (Hard Disk, SSD, Pen Drive, CD/DVD) → डाटा को स्थायी रूप से संग्रहित करने के लिए।

आउटपुट यूनिट (Output Unit)



आउटपुट यूनिट कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेस किए गए परिणाम को उपयोगकर्ता तक पहुँचाती हैं। प्रोसेसिंग के पश्चात डाटा द्वारा परिणामों को प्रस्तुत करने की प्रोसेस को आउटपुट कहा जाता है।


“आउटपुट डिवाइस वे डिवाइस होते हैं जो यूज़र (User) द्वारा इनपुट किये गए डाटा को परिणाम (Result) के रूप में प्रदान करते हैं।”

आउटपुट डिवाइस (Output Device) के द्वारा कंप्यूटर से प्राप्त परिणामो (Result) को प्राप्त किया जाता है इन परिणामों को प्राय: डिस्प्ले डीवाइसेज (स्क्रीन) या प्रिंटर के द्वारा User को प्रस्तुत किया जाता हैं। मुख्य रूप से Output के रूप में प्राप्त सूचनाएं या तो हम स्क्रीन पार देख सकते है या प्रिंटर से पेज पर प्रिंट कर सकते है या संगीत सुनने के लिये आउटपुट के रूप में स्पीकर का उपयोग कर सकते हैं, Output Device कई प्रकार के होते है जैसे-
  ↪   Monitor,
  ↪   Printer,
  ↪   Plotter,
  ↪   Projector,
  ↪   Sound
  ↪   Speaker


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Computer Lab Guidelines and Computer Ergonomics

Computer Lab Rules | General Guidelines

💻 कम्प्यूटर लैब के लिए सुरक्षा नियम | Safety Rules for Computer Lab


कम्प्यूटर लैब में सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए कुछ नियम बहुत ज़रूरी होते हैं। ये नियम न सिर्फ़ उपकरण की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं बल्कि उपयोग करने वालों को भी सुरक्षित रखते हैं।
1. प्रवेश और निकास नियम
  ⇨  कम्प्यूटर लैब लैब में प्रवेश से पहले अपने जूते और चप्पल बाहर उतार दें।
  ⇨  कम्प्यूटर लैब लैब में हमेशा लाइन से प्रवेश करें और बाहर निकलें।
  ⇨  बिना अनुमति के कम्प्यूटर लैब में प्रवेश न करें।
2. उपकरण का उपयोग
  ⇨   कम्प्यूटर को सावधानी से चलाएं और कुर्सियों को धीरे से खिसकाएँ।
  ⇨   किसी भी तार या केबल को बिना अनुमति के न छुएँ।
  ⇨   कम्प्यूटर को बंद करने से पहले सभी प्रोग्रामों को बंद कर दें।
  ⇨   कम्प्यूटर लैब में किसी भी उपकरण को न हिलाएं या निकालें।
3. स्वच्छता और अनुशासन
  ⇨   कम्प्यूटर लैब में खाना-पीना पूरी तरह से मना है। 🍔🚫
  ⇨   अपनी सीट पर कूड़ा न फैलाएँ और डेस्क को साफ रखें।
  ⇨   लैब में शोरगुल न करें और शांति बनाए रखें।
  ⇨   किसी भी तरह की समस्या होने पर लैब इंचार्ज को तुरंत सूचित करें।
4. व्यक्तिगत सुरक्षा
  ⇨   कम्प्यूटर स्क्रीन से उचित दूरी बनाए रखें ताकि आँखों पर ज़ोर न पड़े।
  ⇨   लैब में दौड़-भाग न करें, क्योंकि इससे दुर्घटना हो सकती है। 🏃‍♂️🚫
  ⇨   लैब में जाते समय हमेशा आरामदायक कपड़े पहनें।
  ⇨   कम्प्यूटर पर काम करते समय सीधे बैठें।

इन नियमों का पालन करके हम सभी कम्प्यूटर लैब का बेहतर और सुरक्षित उपयोग कर सकते हैं। 💻👍

कम्प्यूटर लैब हेतु सामान्य दिशानिर्देश

कंप्यूटर लैब में कार्य करते समय कुछ नियमों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए, साथ ही कुछ सुरक्षा सावधानियां एवं नियमों को ध्यान में रखना जरूरी है:
  ⇨   कंप्यूटर लैब में शांतिपूर्वक प्रवेश करें, अपनी जिम्मेदारी सुनिश्चित करें एवं जोर से बात न करें।
  ⇨   कंप्यूटर लैब को साफ और सुव्यवस्थित रखने के लिए कार्य के बाद उचित स्थान पर सामग्री की व्यवस्थित करें।
  ⇨   केवल असाइन किए गए कंप्यूटर का उपयोग करें।
  ⇨   सभी निर्देशों का ध्यान से पालन करें। अपने कंप्यूटर सेशन को अधिक से अधिक उपयोगी बनाएं।
  ⇨   कंप्यूटर लैब में केवल दिया गया प्रैक्टिकल कार्य करें।
  ⇨   अनावश्यक प्रोग्राम, कंप्यूटर गेम एवं इंटरनेट का उपयोग ना करें।
  ⇨   किसी भी इंस्टॉल प्रोग्राम / सॉफ़्टवेयर को डिलीट / अनइंस्टाल ना करें ।
  ⇨   कंप्यूटर लैब छोड़ने पर कंप्यूटर को हमेशा ठीक से बंद करें।
  ⇨   कंप्यूटर पर कार्य करते समय सही मुद्रा बनाए रखने के लिए एर्गोनॉमिक्स नियम का पालन करें।
  ⇨   कंप्यूटर लैब के उपकरणों के लिए जिम्मेदार बनें । स्टाफ एवं सहपाठियों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करें।

💻 कम्प्यूटर लैब रूल पोस्टर | Computer Lab Guidelines & Rules Infographic


Ergonomics Guidelines for Using Computers | कम्प्यूटर अर्गनामिक्स हेतु दिशानिर्देश

कंप्यूटर पर कार्य करते समय कुछ सुरक्षा नियमों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है, इन सुरक्षा नियमों का पालन करने से आप कंप्यूटर पर सुगमतापूर्वक कार्य कर सकते हैं।
कंप्यूटर का उपयोग यदि उचित रूप से प्रयोग नहीं किया जाए तो यह विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारक हो सकता है। कंप्यूटर उपयोग से जुड़े कुछ सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं एवं उनसे बचने के उपाय निम्नानुसार हैं:

1. कंप्यूटर विजन सिंड्रोम (सीवीएस) | Computer Vision Syndrome

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम (सीवीएस) में लंबे समय तक कंप्यूटर स्क्रीन पर कार्य करने के कारण आईस्ट्रेन, सूखी आंखें, धुंधली दृष्टि और सिरदर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं। उचित प्रकाश व्यवस्था, स्क्रीन एडजस्टमेंट और समय समय पर ब्रेक लेकर इसे कम किया जा सकता हैं।


कंप्यूटर विजन सिंड्रोम (सीवीएस) से बचाव के लिए निम्न उपाय किया जाना आवश्यक है:
  ⇨   चकाचौंध को कम करने के लिए अपने मॉनिटर की चमक और इसके विपरीत समायोजित करें।
  ⇨   20-20-20 नियम का उपयोग करें: हर 20 मिनट में 20 फीट दूर कुछ देखने के लिए 20 सेकंड का ब्रेक लें।
  ⇨   अपने कार्यक्षेत्र में उचित प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित करें।
  ⇨   एंटी-रिफ्लेक्टिव कोटिंग्स के साथ कंप्यूटर के चश्मे का प्रयोग करें।

2. रीपीटिटिव स्ट्रैन इंजरी (आरएसआई) | Repetitive Strain Injury (RSI)

रीपीटिटिव स्ट्रैन इंजरी (आरएसआई) कम्प्यूटर पर नियमित रूप से किए जाने वाले कार्यों जैसे कि टाइपिंग या माउस का अत्यधिक उपयोग करने से हो सकता है, इससे जिससे कार्पल टनल सिंड्रोम, टेंडोनाइटिस और मांसपेशियों के तनाव जैसी स्थितियां हो सकती हैं। इनकी रोकथाम के लिए एर्गोनोमिक उपकरण और टाइपिंग करते समय हथेलियों को कीबोर्ड के ऊपर होना चाहिए ।



रीपीटिटिव स्ट्रैन इंजरी (आरएसआई) से बचाव के लिए निम्न उपाय किया जाना चाहिए:
  ⇨   उचित टाइपिंग आसन और कलाई की स्थिति बनाए रखें।
  ⇨   एक एर्गोनोमिक कीबोर्ड और माउस का उपयोग करें।
  ⇨   अपने हाथों और कलाई को खिंचाव और फ्लेक्स करने के लिए नियमित रूप से ब्रेक लें।
  ⇨   टाइपिंग को कम करने के लिए वॉयस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर का उपयोग करने पर विचार करें।

3. गर्दन और कंधे का दर्द:

कंप्यूटर का उपयोग करते समय खराब पॉस्चर गर्दन और कंधे में दर्द का कारण बन सकता है। इसके लिए आंखों के लेवल पर मॉनिटर के साथ एक एर्गोनोमिक चेयर का प्रयोग कर इस समस्या को कम किया जा सकता है।


गर्दन और कंधे के दर्द के लिए निम्न उपाय किया जाना चाहिए :
  ⇨   नीचे देखने से बचने के लिए अपने मॉनिटर को आंखों के स्तर पर रखें।
  ⇨   इष्टतम आराम के लिए अपनी कुर्सी और डेस्क की ऊंचाई समायोजित करें।
  ⇨   ब्रेक के दौरान गर्दन और कंधे का प्रदर्शन करें।
  ⇨   लंबे समय तक फोन या वीडियो कॉल के लिए हेडसेट का उपयोग करें।

4. पीठ दर्द:

अधिक समय तक कम्प्यूटर पर कार्य करने से पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। इसे दूर करने के लिए आरामदायक कुर्सी का उपयोग करना और समय समय पर छोटे छोटे ब्रेक लेने से जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।
पीठ दर्द से बचाव के उपाय :
  ⇨   अच्छे बैकरेस्ट एवं सपोर्टिव कम्प्यूटर चेयर का उपयोग करें।
  ⇨   पैरों को हमेशा सीधा फर्श पर 90 डिग्री के कोण के साथ रखते हुए बैठें।
  ⇨   समय समय पर खड़े होते रहें या चलने के लिए छोटे ब्रेक लें।

5. मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता :

अधिक समय तक कंप्यूटर का उपयोग एक गतिहीन जीवन शैली में योगदान कर सकता है, जिससे मोटापे और संबंधित स्वास्थ्य के मुद्दों का खतरा बढ़ जाता है। समग्र स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए नियमित रूप से ब्रेक और शारीरिक गतिविधि महत्वपूर्ण है।
मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता को दूर करने के उपाय :
  ⇨   शारीरिक गतिविधि को अपनी दिनचर्या में शामिल करें, भले ही यह सिर्फ एक छोटी पैदल दूरी पर हो।
  ⇨   एक संतुलित आहार बनाए रखें और हाइड्रेटेड रहें।
  ⇨   अपनी गतिविधि की निगरानी के लिए फिटनेस ट्रैकर्स या ऐप का उपयोग करने पर विचार करें।

6. मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं :

अत्यधिक कंप्यूटर का उपयोग, खासकर जब गेमिंग अथवा सोशल मीडिया की लत के साथ चिंता और अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। अन्य गतिविधियों के साथ स्क्रीन टाइम को कम करना और सोशल ऐक्टिविटी कनेक्शन बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचाव के उपाय :
- कार्य और अवकाश के समय के लिए स्पष्ट सीमाएं निर्धारित करें।
- सामाजिक गतिविधियों में संलग्न रहें अपना सोशल नेटवर्क बनाए रखें।
- माइंडफुलनेस और रिलैक्सेशन तकनीकों का अभ्यास करें।
- यदि आप गंभीर मानसिक स्वास्थ्य लक्षणों का अनुभव करते हैं तो पेशेवर मदद लें।

7. नींद की गड़बड़ी:

रात में अधिक समय तक कंप्यूटर का उपयोग एवं मॉनीटर स्क्रीन के ब्लू लाइट के कारण नींद का पैटर्न बिगड़ सकता है। इसे दूर करने के लिए सोने से पहले स्क्रीन टाइम को कम करना और ब्लू लाइट फिल्टर का उपयोग किया जाना चाहिए ।
नींद की गड़बड़ी से बचाव के उपाय :
  ⇨   सोने से कम से कम एक घंटे पहले स्क्रीन से बचें।
  ⇨   अपने उपकरणों पर ब्लू लाइट फिल्टर सक्षम करें।
  ⇨   एक आरामदायक सोने की दिनचर्या बनाएं।
  ⇨   सुनिश्चित करें कि आपकी नींद का माहौल आरामदायक और अंधेरा है।




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