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Computer's Generations Infographic Timeline

Computer Fundamentals | History of Computers

Computer History | Generations of Computers Infographic
कंप्यूटर का इतिहास | कंप्यूटर की पीढियां इन्फोग्राफ़िक

Generations of Computers Hindi Notes

कंप्यूटर का विकासक्रम - कंप्यूटर की पीढियां | Development of Computers - Computer Generations


कंप्यूटर का विकासक्रम में समय समय पर विभिन्न परिवर्तन होने के साथ आज के आधुनिक कंप्यूटर ने आकार लिया है। यह लगभग 16वीं शताब्दी का समय था जब कंप्यूटर का विकास शुरू हुआ था। प्रारंभिक कंप्यूटर से आधुनिक कंप्यूटर तक की यात्रा में कंप्यूटर को कई बदलावों का सामना करना पड़ा है। इस विकासक्रम में कंप्यूटर के कार्य करने की गति, सटीकता, आकार और कीमत के मामले में लगातार सुधार हुए हैं। कंप्यूटर के विकास की इस अवधि को विभिन्न चरणों में विभाजित किया गया है जिन्हें कंप्यूटर की पीढ़ियाँ (Computer Generations) कहा जाता है

इन पीढ़ियो को कंप्यूटर के द्वारा उपयोग में ली जाने वाली टेक्नोलॉजी के आधार पर परिभाषित किया जाता हैं। समय अवधि के अनुसार कम्प्यूटर का वर्गीकरण निम्नानुसार पाँच पीढ़ियों में किया गया है।

⇨ प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर (1942 से 1955)
⇨ द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटर (1955 से 1964)
⇨ तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटर (1964 से 1975)
⇨ चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटर(1975 से वर्तमान)
⇨ पंचम पीढ़ी के कम्प्यूटर (वर्तमान से वर्तमान के उपरांत)

Computer's Generations'




कंप्यूटर का इतिहास | कंप्यूटर की पीढियां हिंदी नोट्स


Timeline - History of Computer















फंडामेंटल्स ऑफ़ कम्प्यूटर हिंदी नोट्स

ऑपरेटिंग सिस्टम हिंदी नोट्स

Tags - इस टॉपिक में आपने कंप्यूटर के इतिहास, उसके विकासक्रम एवं कंप्यूटर जनरेशन के बारे में आपको बताया गया है. उम्मीद है कि इससे आपको कंप्यूटर का अविष्कार कैसे हुआ? कंप्यूटर का विकासक्रम एवं कंप्यूटर की पीढियां कौन सी हैं? कंप्यूटर की विभिन्न पीढ़ियों में उपयोग होने वाले कॉम्पोनेन्ट एवं उनमें अन्तर जैसे प्रश्नों का समाधान प्राप्त हुआ होगा. Comuter Notes in Hindi Computer Fundamentals. History of Computers. Brief History Of Computer. A Brief Timeline of Evolution of Computers. Timeline of Computer History. Computer Generations. What are generations of computer? What is computer generation and types? Explain Generation of Computer. Generations of Computers.The Five Generations of Computers. How many generations of computer? , Basic Computer Question Bank, MCQs for ITI COPA, CCA, DCA, BCA, PGDCA & Other Competitive Exams. Computer Hindi Notes for Computer Fundamental, Operating System, MS-Office, Database Management System, Internet Web Design HTML, Java Script, VBA, Accounting Software,Tally, Internet and E commerce, Computer Networking , Employability Skills.

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Computer Generations in Hindi

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Computer History | Generations of Computers
कंप्यूटर का इतिहास | कंप्यूटर की पीढियां


Computer Generations Hindi Notes


कंप्यूटर का विकासक्रम - कंप्यूटर की पीढियां | Development of Computers - Computer Generations


कंप्यूटर का विकासक्रम में समय समय पर विभिन्न परिवर्तन होने के साथ आज के आधुनिक कंप्यूटर ने आकार लिया है। यह लगभग 16वीं शताब्दी का समय था जब कंप्यूटर का विकास शुरू हुआ था। प्रारंभिक कंप्यूटर से आधुनिक कंप्यूटर तक की यात्रा में कंप्यूटर को कई बदलावों का सामना करना पड़ा है। इस विकासक्रम में कंप्यूटर के कार्य करने की गति, सटीकता, आकार और कीमत के मामले में लगातार सुधार हुए हैं। कंप्यूटर के विकास की इस अवधि को विभिन्न चरणों में विभाजित किया गया है जिन्हें कंप्यूटर की पीढ़ियाँ (Computer Generations) कहा जाता है

इन पीढ़ियो को कंप्यूटर के द्वारा उपयोग में ली जाने वाली टेक्नोलॉजी के आधार पर परिभाषित किया जाता हैं। समय अवधि के अनुसार कम्प्यूटर का वर्गीकरण निम्नानुसार पाँच पीढ़ियों में किया गया है।

  • ⇨ प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर (1942 से 1955)
  • ⇨ द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटर (1955 से 1964)
  • ⇨ तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटर (1964 से 1975)
  • ⇨ चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटर(1975 से 1995
  • ⇨ पंचम पीढ़ी के कम्प्यूटर (वर्तमान से वर्तमान के उपरांत)




प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर (First Generation Computers) - 1942 से 1955


1946 में इलेक्ट्रॉनिक वाल्व (वैक्यूम ट्यूब) का उपयोग करने वाले डिजिटल कंप्यूटर को पहली पीढ़ी के कंप्यूटर के रूप में जाना जाता है। इलेक्ट्रॉनिक वाल्व यानी वैक्यूम ट्यूब का उपयोग करने वाला पहला कंप्यूटर ENIAC था। वैक्यूम ट्यूब में बहुत अधिक बिजली की खपत होती है। ये कंप्यूटर आकार में बड़े थे और उन पर प्रोग्राम लिखना मुश्किल था।

इस पीढ़ी के मुख्य कंप्यूटर निम्न हैं :

⇨ इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर एंड कैलकुलेटर (ENIAC) Electronic Numerical Integrator and Calculator
⇨ इलेक्ट्रॉनिक डिस्क्रीट वेरिएबल आटोमेटिक कंप्यूटर (EDVAC) Electronic Discrete Variable Automatic Computer
⇨ यूनिवर्सल ऑटोमेटिक कंप्यूटर (UNIVAC) Universal Automatic computer

इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर एंड कैलकुलेटर (ENIAC) Electronic Numerical Integrator and Calculator


यह पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था जिसे 1946 में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के जॉन एकर्ट (John Eckert) और जॉन मौची (John Mauchy) द्वारा बनाया गया था। इसे इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर एंड कैलकुलेटर (ENIAC - Electronic Numerical Integrator and Calculator) नाम दिया गया था।

Computer Histroy ENIAC
ENIAC - Electronic Numerical Integrator and Calculator

ENIAC 30-50 फीट लंबा था, जिसका वजन 30 टन था, जिसमें 18,000 वैक्यूम ट्यूब, 70,000 रेसिस्टेंस, 10,000 कैपेसिटर लगे हुए थे। इस कंप्यूटर को लगभग 15,000 वाट बिजली की आवश्यकता होती थी। आज के कंप्यूटर ENIAC से कई गुना शक्तिशाली हैं, फिर भी आकार बहुत छोटा है।

इलेक्ट्रॉनिक डिस्क्रीट वेरिएबल आटोमेटिक कंप्यूटर (EDVAC) Electronic Discrete Variable Automatic Computer


इलेक्ट्रॉनिक डिस्क्रीट वेरिएबल आटोमेटिक कंप्यूटर (EDVAC) 1950 में विकसित किया गया था। कंप्यूटर के अंदर डेटा और निर्देशों को संग्रहीत करने की अवधारणा को यहां पेश किया गया था। यह बहुत तेजी से संचालन की अनुमति देता है क्योंकि कंप्यूटर में डेटा और निर्देश दोनों की तीव्र पहुंच थी। निर्देश को संग्रहीत करने का अन्य लाभ यह था कि कंप्यूटर आंतरिक रूप से तार्किक निर्णय ले सकता था।
EDVAC एक बाइनरी सीरियल कंप्यूटर था जिसमें ऑटोमेटिक जोड़, घटाव, गुणा, प्रोग्राम्ड डिवीजन और एक अल्ट्रासोनिक सीरियल मेमोरी के साथ ऑटोमैटिक चेकिंग थी।

यूनिवर्सल ऑटोमेटिक कंप्यूटर (UNIVAC) Universal Automatic Computer


अमेरिका द्वारा 1951 में विकसित किया गया पहला व्यावसायिक कंप्यूटर था। मशीन की लंबाई 25 फीट 50 फीट थी, जिसमें 5600 ट्यूब, 18000 क्रिस्टल डायोड और 300 रिले थे। UNIVAC का उपयोग बड़ी मात्रा में इनपुट और आउटपुट के साथ सामान्य कंप्यूटिंग के लिए किया गया था। UNIVAC मैग्नेटिक टेप से लैस होने वाला पहला कंप्यूटर था और बफर मेमोरी का उपयोग करने वाला पहला कंप्यूटर था।

प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर | First Generation's Computers

First Generation's Computers

प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर की सीमाएं | Limitations of First Generation's Computers

प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटरों में निम्नानुसार प्रमुख कमियां थीं।
  ⇨   इसमें मुख्य इलेक्ट्रॉनिक घटक के रूप वैक्यूम ट्यूब का उपयोग किया था।
  ⇨  इस पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में बहुत बड़े थे।
  ⇨  इन कंप्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड काफी धीमी और स्टोरेज क्षमता कम थी।
  ⇨  इनमें बहुत सारी बिजली का उपभोग और बहुत सारी गर्मी पैदा होती थी।
  ⇨  इनकी कंप्यूटिंग क्षमताएं सीमित होने के कारण इतने सटीक और विश्वसनीय नहीं थे।
  ⇨  इनमें प्रोग्रामिंग के लिए मशीन स्तर की भाषा का उपयोग किया।
  ⇨  इस पीढ़ी के कंप्यूटर बहुत महंगे थे।

द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर (1955 से 1964) | Second Generation's Computers (1955 to 1964)


द्वितीय पीढी (Second Generation) के कम्प्यूर्स की समयावधि 1955 से 1964 तक की मानी जाती है. सन् 1948 मे ट्रांजिस्टर की खोज ने कम्प्यूटर के विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। जिसके कारण वैक्यूम ट्यूब का स्थान ट्रांजिस्टर ने ले लिया जिसका उपयोग रेडियो, टेलिविजन, कम्प्यूटर आदि बनाने मे किया जाने लगा। जिसका परिणाम यह हुआ कि मशीनो का आकार छोटा हो गया। कम्प्यूटर के निर्माण मे ट्रांजिस्टर के उपयोग से कम्प्यूटर अधिक उर्जा दक्ष (Energy Efficient) तीव्र एवं अधिक विश्वसनीय हो गया। इस पीढीके कम्प्यूटर महंगे थे।

 Second Generation's Computers

द्वितीय पीढी के कम्प्यूटर मे मशीन लेंग्वेज़ को एसेम्बली लेंग्वेज़ के द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया। एसेम्बली लेंग्वेज़ मे कठिन बायनरी कोड की जगह संक्षिप्त प्रोग्रामिंग कोड लिखे जाते थे। इन कंप्यूटर में उच्च स्तरीय भाषाओं जैसे कि फोरट्रान (1956), ALGOL (1960) और COBOL (1960-1961) का इस्तेमाल किया जाने लगा।

द्वितीय पीढी के कंप्यूटर का आकार काफी कम हो गया। दूसरी पीढ़ी में सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू), मेमोरी, प्रोग्रामिंग लैंग्वेज और इनपुट और आउटपुट यूनिट की अवधारणा विकसित की गई थी। दूसरी पीढ़ी के कुछ कंप्यूटर आईबीएम 1620 ,आईबीएम 1401, सीडीसी 3600 हैं।

द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएँ | Characterstics of Second Generation's Computers

इनकी मुख्य विशेषताएँ निम्न थीं :

  ⇨  वैक्यूम ट्यूब के बजाय ट्रांजिस्टर का उपयोग किया गया था।
  ⇨  प्रोसेसिंग की गति (Processing Speed) फर्स्ट जेनरेशन कंप्यूटर से अधिक तेज थी।
  ⇨  आकार में छोटा (51 वर्ग फीट) हो गए थे
  ⇨  इनपुट और आउटपुट डिवाइस के प्रयोग से कार्यों को करने में तेज थे।

तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर (1964 से 1975) | Third Generation's Computers (1964 - 1975)


तृतीय पीढी के कम्प्यूटर (Third Generation) की अवधि वर्ष 1964 से 1975 मानी जाती है। द्वितीय पीढ़ी में वैक्यूम ट्यूब का स्थान ट्रांजिस्टर ने ले लिया था परंतु इसके उपयोग से बहुत अधिक मात्रा मे ऊर्जा उत्पन्न होती थी जो कि कम्प्यूटर के आंतरिक भागों (Internal Parts) के लिए हानिकारक थी । सन् 1958 मे जैक किलबे ने इंटीग्रेटेड सर्किट (IC -Integrated Circuit) का निर्माण किया। जिसमें 300 ट्रांजिस्टर की क्षमता थी। इन इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) में कई ट्रांजिस्टर, रजिस्टर और कैपेसिटर होते हैं जो सिलिकॉन के एक ही पतले टुकड़े पर बनाए जाते हैं। जिसका परिणाम यह हुआ कि कम्प्यूटर अधिक तेज एवं छोटा हो गया।

Third Generation's Computers

इस अवधि के दौरान विकसित किए गए कुछ मुख्य कंप्यूटर IBM- 360, ICL- 1900, IBM- 370 और VAX- 750 थे। उच्च स्तर की भाषा जैसे कि BASIC (Beginner's All-purpose Symbolic Instruction Code) प्रोग्रामिंग लैंग्वेज इस अवधि के दौरान विकसित की गई थी।
इस पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में छोटे थे, कम लागत, अधिक मेमोरी और प्रोसेसिंग गति बहुत अधिक थी। बहुत जल्द ही आईसीएस को एलएसआई (लार्ज स्केल इंटीग्रेशन) द्वारा बदल दिया गया, जिसमें लगभग 100 घटक शामिल थे। लगभग 100 घटकों वाले एक IC को LSI कहा जाता है।

तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएँ | Characterstics of Third Generation's Computers

तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएँ निम्नानुसार थीं:

  ⇨   इस पीढ़ी के कंप्यूटर में ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) चिप्स का इस्तेमाल किया।
  ⇨   इनमें अर्ध चालक (Semi Conductor) मेमोरी उपकरणों का उपयोग किया गयाा।
  ⇨   इनका आकार बहुत कम हो गया थाा।
  ⇨   इन कंप्यूटरकी प्रोसेसिंग स्पीड अधिक थी और वे अधिक सटीक एवं विश्वसनीय थे।
  ⇨  लार्ज स्केल इंटीग्रेशन (LSI-Large Scale Integration) और वैरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन (VLSI - Veri Large Scale Integration) चिप्स भी विकसित किए गए थे।
  ⇨   मिनी कंप्यूटर इस पीढ़ी में पेश किए गए थे।
  ⇨   इनमें प्रोग्रामिंग के लिए उच्च स्तरीय भाषा का उपयोग किया।

चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर | Fourth Generation's Computers


चतुर्थ पीढी के कम्प्यूटर (Fourth Generation Computer) का कार्यकाल लगभग 1975 से 1995 तक माना जाता है. सन् 1971 मे बहुत अधिक मात्रा मे इंटीग्रेटेड सर्किट को एक एकल /सिंगल चिप पर समाहित किया गया। LSI (Large Scale Integrated Circuit), VLSI(Very Large Scale Integrated Circuit ) मे बहुत अधिक मात्रा मे सर्किट को एक सिंगल चिप पर समाहित किया गया। लगभग 100 घटकों वाले एक आईसी को LSI (लार्ज स्केल इंटीग्रेशन) कहा जाता है और जिसमें 1000 से अधिक घटक होते हैं उन्हें वीएलएसआई (वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन) कहा जाता है। यह माइक्रोप्रोसेसर नामक सिलिकॉन चिप पर निर्मित बड़े पैमाने पर एकीकृत सर्किट (LSIC) का उपयोग करता है।

माइक्रोप्रोसेसर के विकास के कारण कंप्यूटर की सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू) को सिंगल चिप पर बनाया जाना संभव हो गया है। इन कंप्यूटरों को माइक्रो कंप्यूटर कहा जाता है। इस प्रकार जो कंप्यूटर पहले के दिनों में एक बहुत बड़े कमरे पर कब्जा कर रहा था, उसे अब एक मेज पर रखा जा सकता है। सन् 1975 में प्रथम माइक्रो कम्प्यूटर Altair 8000 प्रस्तुत किया गया।

सन् 1981 मे IBM ने पर्सनल कम्प्यूटर प्रस्तुत किया जिसका उपयोग घर, कार्यालय एवं विघालय मे होता है। चतुर्थ पीढी के कम्प्यूटर मे लेपटॉप का निर्माण किया गया। चौथी पीढ़ी के कुछ कंप्यूटर IBM PC, Apple-Macintosh आदि हैं। हार्ड डिस्क का उपयोग द्वितीयक मेमोरी के रूप में किया जाता है। कीबोर्ड, माउस जैसे इनपुट उपकरणों के साथ साथ आउटपुट के लिए विभिन्न प्रिंटर का उपयोग किया जाने लगा।

Fourth Generation's Computers

ऑपरेटिंग सिस्टम ( OS) के रूप में MS-DOS, UNIX, Apple का Macintosh उपलब्ध था। ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड लैंग्वेज सी ++ आदि विकसित की गई।

चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएँ | Characterstics of Fourth Generation's Computers

चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएँ निम्नानुसार हैं:

  ⇨   माइक्रोप्रोसेसर (वीएलएसआई) को उनके मुख्य एलिमेंट के रूप में इस्तेमाल किया गया।
  ⇨   माइक्रो कंप्यूटर या पर्सनल कंप्यूटर का उपयोग किया जाने लगा।
  ⇨   कंप्यूटर का आकार काफी छोटा हो गया एवं यह डेस्कटॉप,लैपटॉप या पामटॉप के रूप में आने लगा।
  ⇨   इनकी प्रोसेसिंग की बहुत उच्च गति है एवं 100% सटीकता के साथ साथ विश्वसनीय हैं।
  ⇨   इन कंप्यूटर की भंडारण क्षमता (storage capacity) बहुत अधिक है।

पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर | Fifth Generation Computers's


पंचम पीढी के कम्प्यूटर का समय वर्तमान से आने वाला भविष्य माना जाता है. 5वीं पीढ़ी के कंप्यूटर अल्ट्रा-लार्ज स्केल इंटीग्रेशन (ULSI) चिप्स का उपयोग करते हैं। ULSI चिप्स में लाखों ट्रांजिस्टर एक ही इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) में रखे गए हैं। इस अवधि के दौरान 64 बिट माइक्रोप्रोसेसर विकसित किए गए हैं। 1 जीबी से अधिक की मेमोरी चिप्स और फ्लैश मेमोरी, 1024 जीबी (1 TB) अधिक की हार्ड डिस्क और 50 जीबी तक के ऑप्टिकल डिस्क (ब्लू रे) विकसित किए गए हैं।

Fifth Generation Computers's

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटिंग डिवाइस अभी भी विकास में हैं, हालांकि कुछ एप्लिकेशन हैं जैसे कि वॉइस रिकग्निशन आज सामान्यतः आसानी से उपयोग किए जा रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर विज्ञान की वह शाखा है जो कंप्यूटर को इंसानों की तरह बनाने से संबंधित है। यह शब्द 1956 में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में जॉन मैकार्थी द्वारा डेवलप किया गया था।

फिफ्थ जनरेशन कंप्यूटर में कृत्रिम बुद्धि (Artificial Intelligence) की अवधारणा, वोइस रिकग्निशन, मोबाईल संचार, सेटेलाईट संचार, सिग्नल डाटा प्रोसोसिंग को आरम्भ किया गया।
उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओँ जैसे JAVA, VB, डॉट.NET, पाइथन, मशीन लर्निंग की शुरुआत इस पीढ़ी में हुई। कंप्यूटर की पांचवीं पीढ़ी के रूप में एक नई तकनीक उभर कर आई जिसे ULSI (Ultra Large Scale Integrated) कहा जाता है, जिसके अंतर्गत सिंगल माइक्रोप्रोसेसर चिप में 10 लाख तक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तक शामिल किया जा सकता है।

फिफ्थ जनरेशन कंप्यूटर (Fifth Generation Computer) में Artificial Intelligence एवं इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स (IoT)जैसी तकनीकों के आधार पर काम करेंगे, यह कम्प्यूटर्स खुद ही सोचने की क्षमता रखते हैं. कम्प्यूटर्स को उस योग्य बनाया जा रहा है ताकि यह हर तरह का काम कर सकें. लोगों का काम आसान करने के लिए. इन कम्प्यूटर्स को काफी हद तक सफलता भी प्राप्त हो चुकी है. जैसे - Google Assistant, Windows Cortana,और Apple Siri के माध्यम से कुछ ऑटोमेटेड टास्क सिर्फ बोल कर ही किये जा रहे हैं.

Timeline - History of Computer | कम्प्यूटर का इतिहास

Timeline - Computer Generataions | कम्प्यूटर की पीढ़ियाँ


















ऑपरेटिंग सिस्टम हिंदी नोट्स

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ITI COPA Practical Computer Components

ITI COPA Trade Practical Computer Components

कंप्यूटर प्रैक्टिकल | कंप्यूटर सिस्टम के पार्ट्स

ITI COPA Computer Practicals | Parts of Computer System


ITI COPA Practicals | Computer Components


आईटीआई कंप्यूटर ऑपरेटर एंड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट (COPA) कोर्स के अंतर्गत ट्रेड प्रैक्टिकल में आप कंप्यूटर सिस्टम के महत्त्वपूर्ण पार्ट्स, इनपुट आउटपुट यूनिट, सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट, सी पी यू के इंटरनल एवं एक्सटर्नल पार्ट्स,  मदरबोर्ड के विभिन्न कंपोनेंट्स की जानकारी प्राप्त करेंगे।   इन  प्रैक्टिकल के द्वारा कम्प्यूटर ऑपरेटर एंड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट कोर्स के साथ साथ बेसिक कंप्यूटर कोर्स, सी सी ए, डी सी ए, पी जी डी सी ए, बी सी ए आदि के प्रैक्टिकल की तैयारी भी कर सकते हैं।

इनपुट एवं आउटपुट डिवाइस को पहचानना | Identify Input Output Device

प्रैक्टिकल 1 : कंप्यूटर सिस्टम के साथ कनेक्ट होने वाले विभिन्न इनपुट एवं आउटपुट डिवाइस को पहचानना।

Computer System Parts

सी पी यू का फ्रंट पैनल एवं बेक पैनल | Front & Back Panel of CPU

प्रैक्टिकल 2 : सी पी यू  के फ्रंट पैनल के पार्ट्स एवं  बेक पैनल पर स्थित  विभिन्न कनेक्टर एवं पोर्ट्स के नाम लिखिए।

Parts of Computer System

मदरबोर्ड के विभिन्न कंपोनेंट्स | Components of Motherboard

प्रैक्टिकल 3 : सी पी यू  के इंटरनल  पार्ट्स को पहचानिए एवं उनके नाम लिखिए।

Parts of Motherboard

इनपुट एवं आउटपुट डिवाइस को पहचानना | Identify Input Output Device

प्रैक्टिकल 4 :  मदरबोर्ड के विभिन्न कंपोनेंट्स को पहचानिए एवं उनके नाम लिखिए।

Parts of Motherboard_1

डेस्कटॉप कंप्यूटर असेम्बल करना | Assemble a Desktop Computer

प्रैक्टिकल 5:  डेस्कटॉप कंप्यूटर के  कीबोर्ड, माउस, प्रिंटर, एवं पॉवर केबल को जोड़कर सिस्टम को  तैयार कीजिए।

Computer_Components_Connectors1
Computer_Components_Connectors2

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COMPUTER NETWORKING NETWORK TOPOLOGY

Computer Memory | Secondary Memory | Storage Device

 COMPUTER NETWORKING  | NETWORK TOPOLOGY

 

Computer Network

 

कंप्यूटर नेटवर्किंग  | नेटवर्क टोपोलॉजी 


कंप्यूटर नेटवर्क  (COMPUTER NETWORK)

एक कंप्यूटर नेटवर्क दो या दो से अधिक कंप्यूटरों का एक दूसरे से जुड़ाव होता है जो सूचनाओं का आदान-प्रदान करने में सक्षम होते हैं। कंप्यूटर को किसी भी डेटा कम्युनिकेशन लिंक के माध्यम से जोड़ा जा सकता है, जैसे ट्विस्टेड पेयर केबल, को-एक्सेल केबल, ऑप्टिकल फाइबर, माइक्रोवेव ट्रांसमिशन अथवा सेटेलाइट। नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटर पर्सनल कंप्यूटर, मिनी कंप्यूटर, या मैनफ्रेम हो सकते हैं। एक नेटवर्क में कंप्यूटर एक कमरे, भवन, शहर, देश, या दुनिया में कहीं भी स्थित हो सकते हैं।

नेटवर्क के प्रकार (Types of Network)

विभिन्न कंप्यूटर नेटवर्क प्रकार निम्नलिखित विशेषताओं के आधार पर एक दूसरे से भिन्न होते हैं:

  • नेटवर्क का आकार : नेटवर्क का आकार उस क्षेत्र को संदर्भित करता है जिस पर नेटवर्क फैला हुआ है। 

  • ट्रांसमिशन टेक्नोलॉजी : ट्रांसमिशन टेक्नोलॉजी से तात्पर्य उस ट्रांसमिशन मीडिया से है जो कंप्यूटर को नेटवर्क पर कनेक्ट करने के लिए और ट्रांसमिशन प्रोटोकॉल को कनेक्ट करने के लिए उपयोग किया जाता है। 

  • नेटवर्किंग टोपोलॉजी : नेटवर्क टोपोलॉजी नेटवर्क या नेटवर्क के आकार पर कंप्यूटर की व्यवस्था को संदर्भित करता है। 


कंप्यूटर नेटवर्क को मुख्यतः तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है : - 

  1. लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) 

  2. मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क (MAN)  

  3. वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) 

Types of Computer Network



लोकल एरिया नेटवर्क  (Local Area Network)


लोकल एरिया नेटवर्क को संक्षेप में LAN कहा जाता है,  यह एक ऐसा नेटवर्क है जिसका प्रयोग दो या दो से अधिक कंप्यूटर को जोड़ने के लिए किया जाता है| लोकल एरिया नेटवर्क स्थानीय स्तर पर काम करने वाला नेटवर्क है| यह एक ऐसा कंप्यूटर नेटवर्क है जो एक छोटे से क्षेत्र जैसे एक कमरे, भवन, कार्यालय या कुछ किलोमीटर तक फैले परिसर में कंप्यूटर को जोड़ता है। वे निजी स्वामित्व वाले नेटवर्क हैं, जिसका उद्देश्य संसाधनों को साझा करना (Resource Sharing) और सूचनाओं का आदान-प्रदान करना है।

लोकल एरिया नेटवर्क में कंप्यूटर आमतौर पर केबल का उपयोग करके जुड़े होते हैं। लैन नेटवर्क साझा करने के बाद से अन्य प्रकार के नेटवर्क से अलग है। LAN में उपयोग किए जाने वाले कुछ ट्रांसमिशन प्रोटोकॉल ईथरनेट, टोकन बस और FDDI रिंग हैं।

लोकल एरिया नेटवर्क में स्टार, बस और रिंग नेटवर्किंग टोपोलॉजी प्रयोग की जाती हैं। लोकल एरिया नेटवर्क 10 एमबीपीएस से 100 एमबीपीएस की गति से चलता है। WiFi वायरलेस नेटवर्क तकनीक पर आधारित LAN को वायरलेस लोकल एरिया नेटवर्क (WLAN) कहा जाता है।


मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क  (Metropolitan Area Network)


मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (MAN) एक शहर में फैला कंप्यूटर नेटवर्क है। केबल टेलीविजन नेटवर्क,  मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (MAN)  का एक उदाहरण है। एक मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क में कंप्यूटर को एक्सियल केबल या फाइबर ऑप्टिक केबल का उपयोग करके जुड़े हुए हैं। मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (MAN) एक शहर में फैले कई LAN को भी जोड़ता है।

यह एक ऐसा उच्च गति वाला नेटवर्क है जो आवाज, डाटा और इमेज को 200 मेगाबाइट प्रति सेकंड या इससे अधिक गति से डाटा को 75 कि.मी. की दूरी तक ले जा सकता है| यह लेन (LAN) से बड़ा तथा वेन (WAN) से छोटा नेटवर्क होता है | इस नेटवर्क के द्वारा एक शहर को दूसरे शहर से जोड़ा जाता है |

इसके अंतर्गत दो या दो से अधिक लोकल एरिया नेटवर्क एक साथ जुड़े होते हैं. यह एक शहर के सीमाओ के भीतर का स्थित कंप्यूटर नेटवर्क होता हैं. राउटर, स्विच और हब्स मिलकर एक मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क का निर्माण करता हैं.


वाइड एरिया नेटवर्क  (Wide Area Network)

वाइड एरिया नेटवर्क  (WAN) क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा नेटवर्क होता है| यह नेटवर्क न केवल एक बिल्डिंग, न केवल एक शहर तक सीमित रहता है बल्कि यह पूरे विश्व को जोड़ने का कार्य करता है अर्थात् यह सबसे बड़ा नेटवर्क होता है इसमें डाटा को सुरक्षित भेजा और प्राप्त किया जाता है |

इस नेटवर्क मे कंप्यूटर आपस मे लीज्ड लाइन या स्विच सर्किट के दुवारा जुड़े रहते हैं. इस नेटवर्क की भौगोलिक परिधि बड़ी होती है जैसे पूरा शहर, देश या पूरे विश्व में  फैला नेटवर्क. इन्टरनेट इसका एक अच्छा उदाहरण हैं. बैंको की ATM सुविधा भी वाईड एरिया नेटवर्क का उदाहरण हैं.  

WAN एक नेटवर्क है जो शहरों, देशों, महाद्वीपों या दुनिया भर में लंबी दूरी पर कंप्यूटर को जोड़ता है। WAN कनेक्ट करने के लिए टेलीफोन लाइन, सैटेलाइट लिंक और रेडियो लिंक का उपयोग करता है। वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) में एक ही समय में कई कंप्यूटर एक साथ किसी भी नेटवर्क / साईट पर जुड़ने में सक्षम होते हैं. WAN नेटवर्क खुद को विकसित करने में सक्षम होना चाहिए।



नेटवर्क टोपोलॉजी (Network Topology)

नेटवर्क टोपोलॉजी किसी नेटवर्क की आकृति या ले-आउट को कहा जाता है | नेटवर्क के विभिन्न नोड किस प्रकार एक दूसरे से जुड़े होते है तथा कैसे एक दूसरे के साथ कम्युनिकेशन स्थापित करते है, यह नेटवर्क को टोपोलॉजी ही निर्धारित करता है. नेटवर्क टोपोलॉजी फिजिकल या लॉजिकल हो सकती है|

विभिन्न कंप्यूटर्स को आपस में जोड़ने एवं उसमें डाटा शेयरिंग की विधि टोपोलाॅजी कहलाती है। टोपोलॉजी किसी नेटवर्क में कंप्यूटर्स के ज्यामितिक व्यवस्था (Geometric arrangement) को कहते है |”

“Topology is a Layout of Networks

नेटवर्क टोपोलॉजी सामान्यत: निम्नलिखित प्रकार की होती है:-

  1. बस टोपोलॉजी (Bus Topology)

  2. रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology)

  3. स्टार टोपोलॉजी (Star Topology)

  4. मेश टोपोलॉजी (Mesh Topology)

  5. ट्री टोपोलॉजी (Tree Topology)


बस टोपोलॉजी (Bus Topology) 



बस टोपोलॉजी (Bus Topology) में नेटवर्क पर सभी डिवाइस एक कोएक्सियल केबल के माध्यम से जुड़े हुए हैं जिसे बस कहा जाता है. इसमें एक ही तार (Cable) का प्रयोग होता है और सभी कम्प्यूटरो को एक ही केबल से एक ही क्रम में जोड़ा जाता है| केबल के प्रारम्भ तथा अंत में एक विशेष प्रकार का संयंत्र (Device) लगा होता है जिसे टर्मिनेटर (Terminator) कहते है| इसका कार्य सिग्नल्स (Signals) का नियंत्रण करना होता है |

Network Topology Bus Topology


इसमें डेटा सिग्नल डेस्टिनेशन कंप्यूटर के एड्रेस को लेकर चलता हैं, एवं  नेटवर्क पर प्रत्येक कंप्यूटर उस एड्रेस की जांच करता है। जिस कंप्यूटर का एड्रेस मैच करता है, वह भेजे गए सिग्नल की एक कॉपी कर उसे डेटा में परिवर्तित करता है। इसके बाद भी बस पर डेटा सिग्नल नष्ट नहीं होता है और बस के साथ-साथ प्रसारित होता है, और अंत में नेटवर्क के अंत से जुड़ी टर्मिनेटर द्वारा अवशोषित किया जाता है। ईथरनेट बस टोपोलॉजी द्वारा जुड़े नेटवर्क में आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला प्रोटोकॉल है। एक कोएक्सियल केबल का उपयोग आमतौर पर बस टोपोलॉजी में किया जाता है, जिसमें कंप्यूटर या उपकरण जुड़े होते हैं।

लाभ (Advantages) – 

  • यह 15-20 कंप्यूटरों को जोड़ने के लिए अच्छा है।

  • बस टोपोलॉजी को स्थापित (Install) करना आसान होता है|

  • इसमें स्टार व ट्री टोपोलॉजी की तुलना में कम केबल की आवश्यकता होती है|

हानि (Disadvantages) –

  • किसी एक कम्प्यूटर की खराबी से सारा डाटा संचार रुक जाता है |

  • बाद में किसी कम्प्यूटर को जोड़ना अपेक्षाकृत कठिन है |



रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology) –

रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology) नेटवर्क में सभी डिवाइस एक रिंग के आकार में जुड़े हुए होते हैं। इस कम्प्यूटर में कोई होस्ट, मुख्य या कंट्रोलिंग कम्प्यूटर नही होता | इसमें सभी कम्प्यूटर एक गोलाकार आकृति में लगे होते है प्रत्येक कम्प्यूटर अपने अधीनस्थ (Subordinate)  कम्प्यूटर से जुड़े होते है, किन्तु इसमें कोई भी कम्प्यूटर स्वामी नही होता है | इसे सर्कुलर (Circular) भी कहा जाता है |

Network Topology - Ring Topology


रिंग नेटवर्क (Ring Network) में साधारण गति से डाटा का आदान-प्रदान होता है तथा एक कम्प्यूटर से किसी दुसरे कम्प्यूटर को डाटा (Data) प्राप्त करने पर उसके मध्य के अन्य कंप्यूटरो को यह निर्धारित करना होता है कि उक्त डाटा उनके लिए है या नही|प्रत्येक डिवाइस में डेटा सिग्नल प्राप्त करने और उन्हें क्रमशः अगले कंप्यूटर पर भेजने के लिए एक रिसीवर और ट्रांसमीटर होता है। यदि यह डाटा उसके लिए नही है तो उस डाटा को अन्य कम्प्यूटर में आगे (Pass) कर दिया जाता है |

रिंग नेटवर्क में डेटा सिग्नल एक सर्कल में यात्रा करते हैं। कंप्यूटर या उपकरण ट्विस्टेड पेयर  केबल, को एक्सियल केबल या ऑप्टिक फाइबर का उपयोग करके रिंग नेटवर्क में जुड़े होते हैं।रिंग टोपोलॉजी को लागू करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोटोकॉल टोकन रिंग और फाइबर डिस्ट्रिब्यूटेड डेटा इंटरफेस (एफडीडीआई) हैं।

लाभ (Advantages) –

  • यह नेटवर्क अधिक कुशलता से कार्य करता है, क्योंकि इसमें कोई होस्ट (Host) या कंट्रोलिंग कम्प्यूटर (Controlling Computer) नही होता |

  • यह स्टार से अधिक विश्वसनीय है, क्योंकि यह किसी एक कम्प्यूटर पर निर्भर नही होता है |

  • इस नेटवर्क की यदि एक लाइन या कम्प्यूटर कार्य करना बंद कर दे तो दुसरी दिशा की लाइन के द्वारा काम किया जा सकता है |

हानि (Disadvantages) –

  • इसकी गति नेटवर्क में लगे कम्प्यूटर्स पर निर्भर करती है | यदि कम्प्यूटर कम है तो गति अधिक होती है और यदि कंप्यूटर की संख्या अधिक है तो गति कम होती है |

  • यह स्टार नेटवर्क की तुलना में कम प्रचलित है, क्योकि इस नेटवर्क पर कार्य करने के लिए जटिल साफ्टवेयर की आवश्यकता होती है |


स्टार टोपोलॉजी (Star Topology) –

स्टार टोपोलॉजी (Star Topology)  में एक होस्ट कम्प्यूटर होता है जिसे सीधे विभिन्न लोकल कंप्यूटरो से जोड़ दिया जाता है| इसमें सभी कंप्यूटर एक केंद्रीय लिंक के माध्यम से जुड़े होते हैं जो स्टार जैसी संरचना बनाते हैं। लोकल कम्प्यूटर आपस में एक-दुसरे से नही जुड़े होते हैं इनको आपस में होस्ट कम्प्यूटर द्वारा जोड़ा जाता है | होस्ट कम्प्यूटर द्वारा ही पूरे नेटवर्क को कंट्रोल किया जाता है| स्टार टोपोलॉजी (Star Topology)  में केंद्रीय लिंक एक हब या स्विच होता है। कंप्यूटर हब से ट्विस्टेड पेयर  केबल, को एक्सियल केबल या ऑप्टिक फाइबर का उपयोग करके जुड़े होते हैं।

Network Topology - Star Topology


स्टार टोपोलॉजी नेटवर्क में कंप्यूटर और उपकरणों को जोड़ने के लिए सबसे लोकप्रिय टोपोलॉजी है। इसमें डेटा सिग्नल को सोर्स  कंप्यूटर से डेस्टिनेशन कंप्यूटर पर हब या स्विच के माध्यम से प्रेषित किया जाता है। स्टार टोपोलॉजी में उपयोग किए जाने वाले सामान्य प्रोटोकॉल ईथरनेट, टोकन रिंग हैं।

 लाभ (Advantages) –

  • इस नेटवर्क टोपोलॉजी में एक कम्प्यूटर से होस्ट (Host) कम्प्यूटर को जोड़ने में लाइन बिछाने की लागत कम आती है |

  • इसमें लोकल कम्प्यूटर की संख्या बढाये जाने पर एक कम्प्यूटर से दुसरे कम्प्यूटर पर सूचनाओ के आदान-प्रदान की गति प्रभावित नही होती है, इसके कार्य करने की गति कम हो जाती है क्योकि दो कम्प्यूटर के बीच केवल होस्ट (Host) कम्प्यूटर ही होता है|

  • यदि कोई लोकल कम्प्यूटर ख़राब होता है तो शेष नेटवर्क इससे प्रभावित नही होता है|

हानि (Disadvantages) –

  • यह पूरा नेटवर्क होस्ट कम्प्यूटर पर निर्भर होता है| यदि होस्ट कम्प्यूटर ख़राब हो जाय तो पूरा का पूरा नेटवर्क फेल हो जाता हैं |

मेश टोपोलॉजी (Mesh Topology) –

मेश टोपोलॉजी को मेश नेटवर्क (Mesh Network) या मेश भी कहा जाता है | मेश एक नेटवर्क टोपोलॉजी है जिसमे सभी कंप्यूटर या डिवाइस (Devices) नेटवर्क नोड (Nodes) के मध्य कई अतिरिक्त अंत:सम्बन्ध (Interconnections) से जुड़े होते है | अर्थात मेश टोपोलॉजी में प्रत्येक नोड, नेटवर्क के अन्य सभी नोड से जुड़े होते है |

Network Topology - Mesh Topology


मेश टोपोलॉजी में सारे कंप्यूटर कहीं न कहीं एक दूसरे से जुड़े रहते हैं और एक दूसरे से जुड़े होने के कारण ये अपनी सूचनाओ का आदान प्रदान आसानी से कर सकते हैं | इसमें कोई होस्ट कंप्यूटर नहीं होता हैं|

लाभ (Advantages) –

  • यह नेटवर्क हाई ट्रेफिक की स्थिति में मार्ग को ध्यान में रखकर उपयोग किया जाता हैं. इसमें किसी भी कंप्यूटर से कई मार्ग से सन्देश भेजा जा सकता हैं.

  • इस नेटवर्क के फ़ैल होने की सम्भावना नगण्य होती है. 

  • इस नेटवर्क में डाटा उच्च सुरक्षा में प्रेषित किया जाता हैं.

हानि (Disadvantages) –

  • पूर्णतः इंटरकनेक्टेड होने के कारण मेश नेटवर्क खर्चीला हैं, क्यूंकि इसमें ज्यादा केबल के साथ साथ हर नोड पर इंटेलीजेंस की आवश्यकता होती हैं. 


ट्री टोपोलॉजी (Tree Topology) –

ट्री टोपोलॉजी (Tree Topology) में स्टार तथा बस दोनों टोपोलॉजी के लक्षण विद्यमान होते है | इसमें स्टार टोपोलॉजी की तरह एक होस्ट कंप्यूटर होता है और बस टोपोलॉजी की तरह सारे कंप्यूटर एक ही केबल से जुड़े रहते हैं | यह नेटवर्क एक पेड़ के समान दिखाई देता हैं|

Network Topology - Tree Topology


लाभ (Advantages) –

  • प्रत्येक सेगमेंट (Segment) के लिए प्वाइन्ट एवं केबल बिछाया जाता है |

  • कई हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर विक्रेताओ के द्वारा सपोर्ट किया जाता है |

हानि (Disadvantages) –

  • यदि बैकबोन लाइन टूट जाती है तो पूरा सेगमेंट (Segment) रुक जाता है|

  • अन्य टोपोलॉजी की अपेक्षा इसमें केबल बिछाना तथा इसे कन्फीगर (Configure) करना कठिन होता है |



















उपरोक्त नोट्स आपको कंप्यूटर नेटवर्किंग क्या है? नेटवर्क के प्रकार, नेटवर्क टोपोलॉजी, बस टोपोलॉजी, रिंग टोपोलॉजी, स्टार टोपोलॉजी, मेश टोपोलॉजी एवं ट्री टोपोलॉजी आदि के बारे में जानकारी हेतु सहायक होंगे.

What is Computer Newtork? Whar are the different type of network? Local Area Network, Metropolitan Area Network, Wide Area Network. Different Network Topology in use. Network Topology - Bus Topology, Ring Topology, Star Topology, Mesh Topology and Tree Topology. Advantages and disadvanatages of different topology. Computer Networking. Network Types. Network Topology.


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