Exploring Windows 11 Desktop Elements | Video Tutorial in Hindi
इस वीडियो में विंडोज़ 11 का परिचय, विंडोज़ 11 की विशेषताएं , विंडोज़ 11 Desktop एलिमेंट्स जैसे विंडोज़ Desktop, Taskbar, Start Button, Search Bar, Task View, System Tray, वर्चुअल डेस्कटॉप, मल्टीटास्किंग, विजेट्स, गेमिंग, Windows Safety & Security, माइक्रोसॉफ्ट स्टोर का उपयोग एवं विंडोज़ में प्रयोग की जाने वाली शॉर्टकट की के बारे में विस्तृत जानकारी सम्मिलित हैं।
यह वीडियो ITI-COPA, DCA, PGDCA, BCA, CCC, सभी कम्प्यूटर कोर्स एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए उपयोगी होगा।
निम्न प्रश्नों का उत्तर इस वीडियो में देने का प्रयास किया गया है।
विंडोज़ 11 क्या है? विंडोज़ 11 Desktop एलिमेंट्स कौन से हैं? विंडोज़ डेस्कटॉप एलिमेंट्स का उपयोग, डेस्कटॉप सेटिंग्स कैसे बदलें? स्टार्ट बटन का प्रयोग, टास्कबार सेटिंग्स, प्रोग्राम्स को टास्कबार एवं स्टार्ट बटन पर पिन एवं अनपिन करना, डेस्कटॉप बैकग्राउंड, कलर, एवं थीम कैसे बदलें? सिस्टम ट्रे, नोटिफ़िकेशन सेटिंग्स, क्विक सेटिंग्स की जानकारी, शो / हाइड डेस्कटॉप फीचर का उपयोग, विंडोज़ में प्रयोग की जाने वाली प्रमुख शॉर्टकट क्या होते हैं एवं उनको कैसे प्रयोग किया जा सकता है।
Discover the features of Windows11. In this video of Exploring Windows 11 Desktop Elements we'll dive deep into the exciting world of Windows 11. From its sleek new design to powerful performance enhancements, Windows Desktop elements, effective use of windows elements, windows shortcut keys, use of windows desktop settings, we'll explore all feature and settings of Windows 11.
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Competitive Examinations.
Disk Operating System (DOS) | Managing Fiels and Folders
डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (डॉस) - फाइल्स एवं फ़ोल्डर्स Disk Operating System (DOS) Files and Folders
Information Management in DOS | डॉस में इनफार्मेशन मैनेजमेंट
कंप्यूटर में स्टोर होने वाली सभी जानकारी फ़ाइलों में संग्रहीत होती है। जैसे किसी एप्लीकेशन प्रोग्राम को चलाने के लिए उपयोग किए जाने वाले निर्देश प्रोग्राम फ़ाइलों में संग्रहीत होते हैं, और उस एप्लीकेशन प्रोग्राम का उपयोग करके आपके द्वारा बनाई गई जानकारी/डेटा डेटा फ़ाइलों में संग्रहीत होती है। इन जानकारी को डॉस द्वारा फाइल एवं फ़ोल्डर के रूप में मैनेज किया जाता है।
फ़ाइल सिस्टम एक स्टोरेज (जैसे हार्ड डिस्क, फ्लैश ड्राइव, आदि) पर डेटा को व्यवस्थित और संग्रहीत करने का एक तरीका है ताकि इसे आसानी से अपडेट एवं मैनेज किया जा सके। फ़ाइल सिस्टम मॉडल में निम्नलिखित एलमेंन्ट होते हैं:
स्टोरेज स्पेस (Storage Space) : स्टोरेज डिवाइस जैसे हार्ड डिस्क, फ्लापी डिस्क, पेन ड्राइव, आदि पर डाटा स्टोर किया जाता है।
फ़ाइल (File) : फ़ाइल डेटा का एक संग्रह है जो स्टोरेज माध्यम पर संग्रहीत होता है। फ़ाइलें विभिन्न प्रकार की हो सकती हैं (जैसे टेक्स्ट फ़ाइलें, पिक्चर फ़ाइलें, ऑडियो फ़ाइल आदि) और उनकी अलग-अलग विशेषताएँ (जैसे नाम, साइज़, निर्माण की तारीख, आदि) हो सकती हैं।
डायरेक्टरी (Directory): डायरेक्टरी (Directory) एक विशेष प्रकार की फ़ाइल होती है जिसमें अन्य फ़ाइलों और/या डायरेक्टरी (Directory) की सूची होती है। डायरेक्टरी (Directory) उपयोगकर्ताओं को फ़ाइलों को व्यवस्थित करने में सहायता प्रदान करती हैं।
फ़ाइल का नाम (File Name) : फ़ाइल का नाम एक विशिष्ट पहचानकर्ता है जो फ़ाइल सिस्टम में प्रत्येक फ़ाइल को सौंपा गया है। myfile.txt, user.dat फ़ाइल नाम का उदाहरण है।
MS-DOS में प्रत्येक फ़ाइल को उसके नाम और उसके स्थान से पहचाना जाता है। कोई भी फाइल किसी लॉजिकल ड्राइव जैसे C: ड्राइव अथवा उस ड्राइव की किसी पर डायरेक्टरी में स्टोर की जाती है।
फ़ाइल मेटाडेटा (File Metadata) : यह वह डेटा है जो किसी फ़ाइल के बारे में अन्य जानकारी जैसे फाइल साइज़, फाइल बनाने का समय एवं तिथि आदि प्रदान करता है।
किसी डिस्क में सैकड़ों / हजारों फ़ाइल स्टोर की जा सकती हैं। डिस्क पर फ़ाइलों व्यवस्थित रूप से स्टोर करने के लिए डायरेक्टरी एवं सबडायरेक्टरी का प्रयोग किया जाता है। जैसे किसी ऑफिस में फाइल फ़ाइल कैबिनेट के भीतर ड्रॉअर में रखा जाता है। उसी प्रकार कम्प्यूटर में एक डायरेक्टरी में संबंधित फ़ाइलों का एक समूह होता है।
यदि आपके पास दैनिक, साप्ताहिक, मासिक रिपोर्ट और व्यय विवरण जैसे निश्चित व्यय, दैनिक व्यय जैसी कई रिपोर्टें हैं, तो आप दो सबडायरेक्टरी Report एवं Expenses बना कर उनमें संबंधित फाइल को सेव कर सकते हैं।
प्रत्येक डिस्क में दो प्रकार की डायरेक्टरी होती हैं, रूट डायरेक्टरी और सब डायरेक्टरी
ROOT डायरेक्टरी हमेशा मौजूद रहती है और ROOT डायरेक्टरी के अंदर एक से अधिक सब डायरेक्टरी किसी भी स्तर पर बनाई जा सकती हैं। यदि किसी डायरेक्टरी के भीतर कोई अन्य डायरेक्टरी बनाई जाती है, तो उसे सब डायरेक्टरी कहा जाता है। इसलिए, रूट डायरेक्टरी को छोड़कर, अन्य सभी डायरेक्टरी, सब डायरेक्टरीहोती हैं।
रूट डायरेक्टरी को बैकस्लैश ("\") द्वारा दर्शाया जाता है, जैसे C:\, D:\, आदि।
फ़ाइल नाम, उसकी ड्राइव और उसकी डायरेक्टरी की स्थिति को दर्शाने वाली स्ट्रिंग को पाथ कहा जाता है। जैसे यदि कोई फाइल C: ड्राइव में MYDATA डायरेक्टरी के अंदर Report के रूप में स्टोर है तो उसकी लोकेशन को निम्न प्रकार से दर्शाया जाता है जिसे पाथ कहते हैं।
C:\MYDATA\Report
फाइल एवं डायरेक्टरी का नाम के लिए नियम | Rules for Naming a File/Directory
डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) में किसी भी फ़ाइलनेम के 2 भाग होते हैं, एक प्राइमेरी फाइलनेम एवं एक एक्सटेंशन, जो कि फाइल टाइप को दर्शाता है। यह एक्सटेंशन वैकल्पिक हो सकता है। किसी प्रोग्राम के द्वारा बनाई जाने वाली को उसके एक्स्टेन्शन नेम से पहचाना जाता है।
डॉस में किसी भी फाइल को अधिकतम 8 अक्षरों का नाम दिया जा सकता है, साथ ही एक्सटेंशन 3 अक्षरों से अधिक नहीं होना चाहिए।
उदाहरण के लिए: filename.txt, साथ ही किसी फाइलनेम में निम्न स्पेशल कैरेक्टर का प्रयोग नहीं किया जाता है।
CD अथवा CHDIR एक इन्टर्नल डॉस कमांड है जिसके द्वारा करंट डायरेक्टरी अथवा सब डायरेक्टरी के अंदर पहुँच जा सकता है। उदाहरण के लिए किसी ड्राइव में निम्न डायरेक्टरी हैं।
\ (ROOT)
MYFILE
DATABASE
TAXES
DOS
WINDOW
DATA
REPORT
GAMES
C:\>CD
यह कमांड करंट डायरेक्टरी को दिखाएगा
C:\>CD DATABASE\DATA
वर्तमान डायरेक्टरी से \DATABASE\DATA डायरेक्टरी में जाने के लिए इस कमांड का प्रयोग होगा।
इस डायरेक्टरी से अन्य डायरेक्टरी WINDOW\GAMES में जाने के लिए निम्न कमांड का प्रयोग कर सकते हैं।
RD अथवा RMDIR का प्रयोग किसी डायरेक्टरी / सब डायरेक्टरी को डिलीट करने के लिए किया जाता है। किसी डायरेक्टरी को डिलीट करने से पहले CD कमांड द्वारा उस डायरेक्टरी से बाहर आना होगा एवं उस डायरेक्टरी के अंदर कोई भी फाइल ना होने पर ही डॉस द्वारा उसे डिलीट किया जा सकता है। जैसे
C:\>RD TAXES
C:\>RD \DATABASE\DATA
किसी डायरेक्टरी को रिमूव करने से पहले डॉस द्वारा निम्न मैसेज डिस्प्ले किया जाता है।
Attempt to remove current directory - C:\DATABASE\DATA.
यदि डायरेक्टरी खाली नहीं है अथवा पाथ गलत दिया गया है तो निम्न एरर मैसेज डिस्प्ले होगा।
Invalid path, not directory, or directory not empty.
आईटीआई कंप्यूटर ऑपरेटर एंड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट (COPA) कोर्स के अंतर्गत ट्रेड प्रैक्टिकल में आप ऑपरेटिंग सिस्टम, विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम, विंडोज एक्सेसरीज प्रोग्राम्स आदि की जानकारी प्राप्त करेंगे. इन प्रैक्टिकल के द्वारा कम्प्यूटर ऑपरेटर एंड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट कोर्स के साथ साथ बेसिक कंप्यूटर कोर्स, सी सी ए, डी सी ए, पी जी डी सी ए, बी सी ए आदि के प्रैक्टिकल की तैयारी भी कर सकते हैं.
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डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) के क्या उपयोग है? कम्प्युटर में डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) को कैसे प्रयोग करें? डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) में फाईल बनाना, सेव करना, फाइल देखने हेतु कमांड्स. डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) की कमांड्स को प्रयोग कैसे करें? डॉस (DOS) क्या है ? DOS full form. What is Dos in Hindi. एमएस डॉस का उपयोग कैसे करें? Internal & External DOS Commands in Hindi. MS DOS commands in Hindi. Computer Hindi Notes PDF Books Downloads. डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम इन हिंदी. विंडोज में DOS का प्रयोग कैसे करें? बेसिक डॉस कमांड्स हिंदी नोट्स.
डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (डॉस) कमांड्स | Disk Operating System (DOS) Commands
आईटीआई कंप्यूटर ऑपरेटर एंड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट (COPA) कोर्स के अंतर्गत ट्रेड प्रैक्टिकल में आप ऑपरेटिंग सिस्टम, विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम, विंडोज एक्सेसरीज प्रोग्राम्स आदि की जानकारी प्राप्त करेंगे. इन प्रैक्टिकल के द्वारा कम्प्यूटर ऑपरेटर एंड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट कोर्स के साथ साथ बेसिक कंप्यूटर कोर्स, सी सी ए, डी सी ए, पी जी डी सी ए, बी सी ए आदि के प्रैक्टिकल की तैयारी भी कर सकते हैं.
DOS Commands | DIR
DIR कमांड एक इन्टर्नल डॉस कमांड है। यह कमांड किसी डायरेक्टरी के अंदर फ़ाइलों और सबडायरेक्टरी की एक सूची प्रदर्शित करतती है। निम्नानुसार कमांड टाइप करें और एंटर करें
Type the Command as follows and press Enter Key:
C:\>DIR
स्क्रीन पर यह इस प्रकार दिखाई देगी
DIR Command displays:
⇨ Disk's volume label - given by the user. ⇨ Serial number - generated by the system.
⇨ Directory or filename with the file name extension. ⇨ File size in bytes.
⇨ Date and time the file was last modified. ⇨ Total number of files listed.
⇨ Cumulative size of the files listed.
⇨ Free space in bytes remaining on the disk.
□ स्क्रीन को विड्थवाइज़ देखने के लिए /w स्विच का उपयोग किया जाता है, इस से केवल फाइल एवं डायरेक्टरी के नाम दिखाई देंगे। अन्य सूचनाएं जैसे फाइल साइज़, डेट एवं टाइम नहीं दिखाई देंगी।
Use the /W switch as follows :
DIR कमांड के साथ वाइल्ड कार्ड (? and *) का प्रयोग करके किन्ही निश्चित नाम अथवा ग्रुप की फाइल अथवा डायरेक्टरी की लिस्ट प्रदर्शित की जा सकती है।
वाइल्डकार्ड * का प्रयोग एक या अधिक कैरेक्टर के लिए एवं ? का प्रयोग एक कैरेक्टर के लिए किया जाता है।
C:\>DIR *.TXT
यह कमांड उन सभी फाइल जिनका एक्स्टेन्शन TXT होगा, उनकी लिस्ट प्रदर्शित करेगा।
C:\>DIR S*.*
यह कमांड उन सभी फाइल जिनका नाम S से एवं 3 कैरेक्टर का होगा लेकिन उनका एक्स्टेन्शन कुछ भी हो सकता है, उनकी लिस्ट प्रदर्शित करेगा।
यह एक इंटरनल कमांड है. COPY कमांड एक या अधिक फ़ाइलों की डुप्लिकेट कॉपी बनाता है। डायरेक्टरी में फाइल की कॉपी करते समय एक नया नाम देना होगा। किसी अन्य ड्राइव/डायरेक्टरी में कॉपी करते समय वही नाम दिया जा सकता है। कॉपी कमांड का उपयोग करते समय आप उस फ़ाइल का स्थान और फ़ाइल नाम टाइप करते हैं जिसे (Source) आप कॉपी करना चाहते हैं, उसके बाद उस फ़ाइल का स्थान और फ़ाइल नाम टाइप करते हैं जहां पर आप (Destination) कॉपी करना चाहते हैं।
C:\> COPY Source Destination
- To copy the contents of OLDFILE.DAT to NEWFILE.DAT
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डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) के क्या उपयोग है? कम्प्युटर में डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) को कैसे प्रयोग करें? डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) में फाईल बनाना, सेव करना, फाइल देखने हेतु कमांड्स. डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) की कमांड्स को प्रयोग कैसे करें? डॉस (DOS) क्या है ? DOS full form. What is Dos in Hindi. एमएस डॉस का उपयोग कैसे करें? Internal & External DOS Commands in Hindi. MS DOS commands in Hindi. Computer Hindi Notes PDF Books Downloads. डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम इन हिंदी. विंडोज में DOS का प्रयोग कैसे करें? बेसिक डॉस कमांड्स हिंदी नोट्स.
CMOS का फुल फॉर्म Complementary Metal Oxide Semiconductor है। यह कंप्यूटर के मदरबोर्ड (Mother Board) पर लगी एक मेमोरी चिप है जिसमें BIOS प्रोग्राम से संबंधित जानकारी स्टोर की जाती है।
यूजर द्वारा कॉन्फ़िगर की जाने वाली BIOS सेटिंग जैसे कम्प्यूटर की डेट एवं टाइम, डिस्क सेटिंग्स, बूट डिवाइस, स्टार्टअप पासवर्ड आदि को CMOS द्वारा ही सेव किया जाता है।
CMOS और BIOS सेटअप दोनों की सेटिंग्स सिस्टम BIOS में निर्दिष्ट होती हैं। कुछ कंप्यूटर निर्माता इस सेटअप मेनू को BIOS सेटअप के रूप में संदर्भित करते हैं, जबकि अन्य इसे CMOS सेटअप के रूप में संदर्भित करते हैं।
CMOS सेटअप कंप्यूटर को बंद करने पर आपकी सिस्टम सेटिंग्स को याद रखता है, जबकि BIOS में बूट-अप प्रक्रिया के लिए सेटिंग्स होती हैं। दोनों सेटिंग्स को एक ही सेटअप मेनू के माध्यम से कॉन्फ़िगर किया जाता है ।
कंप्यूटर के बंद हो जाने पर भी CMOS सेटिंग्स को सुरक्षित रखने के लिए एक लीथियम आयन बैटरी का प्रयोग किया जाता है, जो कि CMOS को लगातार पावर प्रदान कर सकती है। CMOS के लिए आमतौर पर CR2032 सेल बैटरी का प्रयोग किया जाता है।
CMOS एवं BIOS में अंतर | Difference between CMOS & BIOS
CMOS का फुल फॉर्म कॉम्पलीमेन्टरी मेटल आक्साइड सेमी कन्डक्टर (Complementary Metal Oxide Semiconductor) है। यह कंप्यूटर के मदरबोर्ड (Mother Board) पर लगी एक मेमोरी चिप है जिसमें BIOS प्रोग्राम से संबंधित जानकारी स्टोर की जाती है।
यूजर द्वारा कॉन्फ़िगर की जाने वाली BIOS सेटिंग जैसे कम्प्यूटर की डेट एवं टाइम, डिस्क सेटिंग्स, बूट डिवाइस, स्टार्टअप पासवर्ड आदि को CMOS द्वारा ही सेव किया जाता है।
BIOS का फुल फॉर्म बेसिक इनपुट आउटपुट सिस्टम (Basic Input/Output System) है, जिसका प्रयोग कम्प्यूटर हार्डवेयर को मैनेज करने के लिए किया जाता है।
जब कम्प्यूटर को स्टार्ट किया जाता है तो सबसे BIOS रन होता है, BIOS का मुख्य कार्य हार्डवेयर पार्ट्स - इनपुट, आउटपुट, डिस्क ड्राइव आदि को चेक करने के पश्चात बूटिंग के लिए आवश्यक फाइल ढूंढ कर ऑपरेटिंग सिस्टम को शुरू करना होता है।
How to use CMOS Setup?
कम्प्यूटर निर्माताओं द्वारा BIOS सेटिंग के लिए अलग अलग की (Key) का उपयोग किया जाता है। कम्प्यूटर सिस्टम के CMOS सेटअप स्टार्ट करने के लिए प्रयोग की जाने वाली की (key) हमेशा BIOS बूटस्क्रीन पर दिखाई देती है। यदि BIOS बूट स्क्रीन प्रदर्शित नहीं होती है या CMOS सेटअप की नहीं दिखाती है, तो 'Esc', 'Del', 'F1', 'F2', 'F10', का प्रयोग किया जा सकता है।
CMOS सेटअप द्वारा निम्न सेटिंग को परिवर्तित किया जा सकता है।
Date and Time : कंप्यूटर के डेट टाइम सेटिंग को इस ऑप्शन के द्वारा सेट करते हैं।
IDE/SATA : एक से अधिक हार्ड डिस्क का प्रयोग करने के लिए इस ऑप्शन के द्वारा प्राइमेरी / सेकन्डेरी के रूप में सेट कर सकते है।
Devices : कंप्यूटर मे उपयोग की जाने वाली डिवाइस को प्लग एण्ड प्ले ऑप्शन के द्वारा BIOS सेटिंग से ऑटोमैटिक रूप से अपडेट कर प्रयोग किया जा सकता है।
System Information : कंप्यूटर सिस्टम की इनफार्मेशन जैसे मेमोरी है, डिस्क ड्राइव, डिवाइस आदि की जानकारी चेक की जा सकती है।
Boot Order : BIOS द्वारा कम्प्यूटर के बूट ऑर्डर को सेट किया जा सकता है। बूट ऑर्डर को जिस डिस्क या ड्राइव से सेट किया जाता है, उसी ऑर्डर में कम्प्यूटर उस ड्राइव से बूट करता है। यदि फर्स्ट बूट ऑर्डर सीडी/डीवीडी है, तो जब भी कंप्यूटर स्टार्ट होगा तो सबसे पहले सीडी/डीवीडी से बूट होगा। उसके बाद बूटिंग के लिए अन्य ड्राइव को चेक करेगा।
Password : BIOS सेटिंग के लिए पासवर्ड सेट किया जा सकता है, जिससे अन्य व्यक्ति सिस्टम की BIOS सेटिंग्स को बदल नहीं सके।
कम्प्यूटर से कोई काम कराने के लिए हमें पूरे और सही आदेश देने पड़ते हैं । ये आदेश किसी ऐसी भाषा में होने चाहिए जिसे कम्प्यूटर समझ सके। कम्प्यूटर वास्तव में केवल ऑपरेटिंग सिस्टम की भाषा समझता है। ऑपरेटिंग सिस्टम ही कम्प्यूटर का सुपरवाइजर या मैनेजर है। इसलिए हम अपने आदेश अपनी भाषा में कम शब्दों में ऑपरेटिंग सिस्टम को देते हैं, जिनको वह कम्प्यूटर की भाषा में बदलकर उसे भेज देता है। यदि हमारे और कम्प्यूटर के बीच में ऑपरेटिंग सिस्टम न हो तो हम कम्प्यूटर से कोई काम नहीं करा सकेगें ।
डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) सबसे पहले IBM कंपनी द्वारा पर्सनल कंप्यूटर्स के लिए प्रयुक्त पहला ऑपरेटिंग सिस्टम था। यह मूल रूप से दो संस्करणों में उपलब्ध था जो एक समान थे, लेकिन दो अलग-अलग नामों के तहत उपलब्ध कराए गए था। PC-DOS आईबीएम द्वारा विकसित संस्करण था एवं MS-DOS, माइक्रोसॉफ्ट द्वारा उपलब्ध कराया गया था। कम्प्यूटर अपने ऑपरेटिंग सिस्टम के नियंत्रण में ही काम करता है। डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) एक कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम है जो डिस्क स्टोरेज डिवाइस जैसे कि फ्लॉपी डिस्क, हार्ड डिस्क ड्राइव का उपयोग कर सकता है। डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर सिस्टम में फाइल स्टोरेज एवं फाइल मेनेजमेंट, कम्प्यूटर सिस्टम एवं हार्डवेयर डिवाइस को कंट्रोल करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
आई.बी.एम. के पर्सनल कम्प्यूटरों के लिए जो ऑपरेटिंग सिस्टम बनाया उसे पर्सनल कम्प्यूटर-डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम या पीसी- डॉस (PC-DOS) कहा गया। बाद में माइक्रोसॉफ्ट उसका नाम माइक्रोसॉफ्ट-डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम या एमएस-डॉस (MS-DOS) रखा।
डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) कमांड लाइन इंटरफ़ेस (CLI) का उपयोग करता है, जो उपयोगकर्ता (Users) को कमांड टाइप करने की अनुमति देता है। copy और cd (चेंज डायरेक्टरी) जैसे सरल निर्देशों को टाइप करके उपयोगकर्ता हार्ड ड्राइव पर फाइलें ब्राउज़ कर सकते हैं, फाइलें खोल सकते हैं और प्रोग्राम चला सकते हैं। डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) की कमांड्स टाइप करने के लिए आसान एवं सरल हैं। लेकिन इस ऑपरेटिंग सिस्टम की कमांड्स को नए सीखने वालों के लिए उपयोग करना मुश्किल होता है, इसी वजह से बाद में माइक्रोसॉफ्ट ने ग्राफिक आधारित विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम को डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) जोड़ दिया।
डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) का उपयोग किसी सिस्टम या कंप्यूटर को संचालित करने के लिए किया जाता है। यह कंप्यूटर प्रोग्राम का एक सेट है जिसके मुख्य कार्य डिस्क फ़ाइलों को मैनेज करना, आवश्यकता के अनुसार सिस्टम संसाधनों को आवंटित करना है। डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) कीबोर्ड, स्क्रीन, डिस्क डिवाइस, प्रिंटर, मोडेम और प्रोग्राम जैसे हार्डवेयर उपकरणों को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करता है।
डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) वह माध्यम है जिसके माध्यम से सिस्टम से जुड़े उपयोगकर्ता और बाहरी उपकरण कंप्यूटर सिस्टम के साथ संवाद (Communication) करते हैं। DOS कंप्यूटर द्वारा समझे जाने वाले लैंग्वेज में उपयोगकर्ता द्वारा जारी किए गए आदेश का अनुवाद करता है और कंप्यूटर को उसी के अनुसार काम करने का निर्देश देता है। यह उपयोगकर्ता को समझने योग्य परिणाम और किसी भी त्रुटि संदेश का भी अनुवाद करता है।
डॉस (DOS) सिंगल-टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम है जबकि विंडोज मल्टी-टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम है। डॉस का उपयोग करना विंडोज़ की अपेक्षा अधिक समय लेता है क्योंकि इसमें एक समय में केवल एक ही ऑपरेशन (कमांड) चला सकते हैं। जबकि विंडोज़ में उपयोगकर्ता एक साथ विभिन्न कार्य कर सकते हैं।
डॉस एक कमांड-लाइन ऑपरेटिंग सिस्टम है, जबकि विंडोज ग्राफिकल बेस्ड ऑपरेटिंग सिस्टम है। डॉस उपयोगकर्ताओं को कमांड लाइन इंटरफेस (CLI) में कंप्यूटर कार्यों को करने के लिए कमांड टाइप करने की आवश्यकता होती थी। जबकि ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) ने विंडोज उपयोगकर्ताओं को माउस पॉइंटर, आइकान, ग्राफिकल ऑब्जेक्ट्स के द्वारा कम्प्यूटर पर कार्यों को आसानी करने में मदद करता है।
विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम नेटवर्किंग सपोर्ट करता है जबकि डॉस (DOS) नेटवर्किंग को सपोर्ट नहीं करता है। विंडोज़ को कई उपयोगकर्ताओं के बीच डेटा और संसाधनों को शेयर करने के लिए अन्य कंप्यूटरों से जोड़ा जा सकता है।
डॉस ऑपरेटिंग सिस्टम मल्टीमीडिया को सपोर्ट नहीं करता है, जबकि विंडोज मल्टीमीडिया को सपोर्ट करता है। MS-DOS के उपयोगकर्ता गेम खेलने, मूवी देखने या संगीत सुनने जैसी गतिविधियाँ नहीं कर सकते, जबकि Windows उपयोगकर्ता सभी मल्टीमीडिया प्रोग्राम का आनंद ले सकते हैं।
डॉस एक ऑपरेटिंग सिस्टम है जो एक डिस्क स्टोरेज डिवाइस का उपयोग कर सकता है इसे फ्लॉपी डिस्क या हार्ड डिस्क ड्राइव पर इंस्टाल कर प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन विंडोज़ को किसी बाहरी डिस्क पर सामान्यतः इंस्टॉल नहीं कर सकते हैं।
वर्तमान में डॉस का व्यापक रूप से उपयोग नहीं किया जाता है, जबकि विंडोज विश्व स्तर पर प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम बन गया है। विंडोज़ उपयोगकर्ताओं में डॉस की तुलना में अधिक सुविधाएं हैं। डॉस में लिमिटेड स्टोरेज का उपयोग किया जाता है जबकि विंडोज़ में अनलिमिटेड स्टोरेज का प्रयोग कर सकते हैं। जिससे विंडोज़ उपयोगकर्ता अपने मेमोरी स्टोरेज की चिंता किए बिना बहुत सारा डेटा स्टोर कर सकते हैं।
एक ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर प्रोग्राम का एक समूह है जो कंप्यूटर हार्डवेयर उपकरणों के बीच सभी गतिविधियों का समन्वय करता है। यह एक बूट प्रोग्राम द्वारा कंप्यूटर में लोड किया गया पहला प्रोग्राम है और हर समय मेमोरी में बना रहता है।
डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम के मूल कार्य हैं:
1 कंप्यूटर को बूट करना (Booting up Computer)
2 हार्डवेयर कॉन्फ़िगर करना (Configure Hardware)
3 यूजर इंटरफेस उपलब्ध कराना (Provide User Interface)
4 सिस्टम रिसोर्सेज का उपयोग (Using System Resources)
5 फ़ाइल मैनेजमेंट (File Management)
कंप्यूटर को शुरू करने या फिर से शुरू करने की प्रक्रिया को बूटिंग के रूप में जाना जाता है। बूटिंग दो प्रकार की होती है- कोल्ड बूट एवं वार्म बूट. कोल्ड बूट तब होता है जब आप उस कंप्यूटर को चालू करते हैं जिसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया है एवं वार्म बूट कंप्यूटर को पुनःआरंभ या रीस्टार्ट करने के लिए उपयोग किया जाता है।
डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम बेसिक कंप्यूटर हार्डवेयर जैसे कि माउस, कीबोर्ड और प्रिंटर जैसे विभिन्न पेरिफेरल उपकरणों को कॉन्फ़िगर कर उनके संचालन में मदद करता है। उदाहरण के लिए प्रिंटर को प्रिन्ट निकालने के लिए एवं उपयोग करने के लिए कॉन्फ़िगर करना।
यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम के इंटरफ़ेस के माध्यम से सॉफ्टवेयर के साथ इंटरैक्ट करता है। उपयोगकर्ता इंटरफेस के दो मुख्य प्रकार हैं: कमांड लाइन और एक ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (जीयूआई)।
डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) कमांड लाइन इंटरफेस के साथ, उपयोगकर्ता को विशिष्ट कार्यों को करने के लिए कमांड टाइप करके ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ इंटरैक्ट करने की सुविधा प्रदान करता है।
डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) विभिन्न एप्लीकेशन या पेरिफेरल उपकरणों द्वारा सिस्टम संसाधन जैसे कंप्यूटर की मेमोरी और सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू) आदि को शेयर एवं मैनेज करना भी संभालता है। ऑपरेटिंग सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक एप्लिकेशन को पूरी कार्यक्षमता के साथ काम करने के लिए आवश्यक संसाधन मिलते रहें।
डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) कंप्यूटर डिस्क में सेव की गई फ़ाइलों और डायरेक्टरी के संगठन और ट्रैकिंग को भी संभालता है। फ़ाइल मैनेजमेंट प्रणाली उपयोगकर्ता को फ़ाइलों और निर्देशिकाओं को बनाने, फ़ाइलों का नाम बदलने, फाइलों को कॉपी करने और स्थानांतरित करने और फ़ाइलों को हटाने जैसे कार्यों को करने की अनुमति देती है। डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम फाइल एलोकेशन टेबल (FAT) के माध्यम से डिस्क में फाइल सिस्टम को ट्रैक करता है।
कंप्यूटर को स्टार्ट करने की प्रक्रिया को बूटिंग के रूप में जाना जाता है। बूटिंग दो प्रकार की होती है- कोल्ड बूट (Cold Boot) एवं वार्म बूट (Warm Boot)। . कोल्ड बूट तब होता है जब आप उस कंप्यूटर को चालू करते हैं जिसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया है एवं वार्म बूट कंप्यूटर को पुनःआरंभ या रीस्टार्ट करने के लिए उपयोग किया जाता है।
डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) को स्टार्ट करने के लिए मुख्य रूप से तीन फाइलें उपयोग में लाई जाती हैं - command.com, io.sys एवं msdos.sys. ये फाइल्स किसी भी कंप्यूटर को डॉस द्वारा बूट कराने के लिए आवश्यक होती हैं।
जब पीसी की बूटिंग की जाती है तो एमएस-डॉस रूट डायरेक्ट्री में एक फाइल की खोज करता है जिसका नाम है – AUTOEXEC.BAT यह एक बैच फाइल है, जिसमें कुछ ऐसे आदेश होते हैं, जिन्हें आप पीसी चालू करते ही उनका पालन कराना चाहते हैं । उदाहरण के लिए, आप चाहते हैं कि बूटिंग के बाद तारीख और समय सेट किया जाए या यह बताना चाहते हैं कि अगर कोई फाइल कहीं न मिले तो उसे किस डायरेक्ट्री में ढूंढना है आदि । एक साधारण AUTOEXEC.BAT फाइल में निम्नलिखित आदेश होते हैं –
DATE
TIME
PROMPT $P$G
PATH = C:\DOS;C:\WS;C:\WINDOWS
डॉस कमांड, डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम में उपलब्ध कमांड हैं जो ऑपरेटिंग सिस्टम और अन्य कमांड लाइन आधारित सॉफ्टवेयर के साथ कार्य करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। डॉस कमांड्स को डॉस प्रोम्प्ट "C:\>" पर कमांड को टाइप करके प्रयोग किया जाता है.
एमएस-डॉस कमांड्स दो प्रकार के होते हैं :-
♦ इंटरनल डॉस कमांड्स
♦ एक्सटर्नल डॉस कमांड्स
इंटरनल डॉस कमांड्स ऐसे आदेश है जो एमएस-डॉस की मुख्य फाइल command.com में पहले से होते हैं क्योंकि ये सबसे महत्वपूर्ण हैं और बार-बार देने पड़ते हैं। ये आदेश कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी में हर समय उपलब्ध रहते हैं तथा इन्हें चलाने के लिए किसी और फाइल की आवश्यकता नहीं होती है इसलिए इन्हें आन्तरिक आदेश कहा जाता है। एमएस-डॉस की इन्टर्नल कमांड्स (Internal Commands) निम्नलिखित हैं:- BREAK, COPY, ERASE, RD, SHIFT, EXIT, MD, REM, TIME, CD, DATE, FOR, MKDIR, REN, TYPE, CHCP, DEL, GOTO, PATH, RENAME, VER, CHDIR, DIR, IF, PAUSE, RMDIR, VERIFY, CLS, ECHO, PROMPT, SET, VOL.
एक्सटर्नल डॉस कमांड्स ऐसे आदेश हैं जो कम्प्यूटर की मुख्य मैमोरी में उपलब्ध नहीं रहते बल्कि अलग प्रोग्राम फाइलों के रूप में डिस्क पर स्टोर रहते हैं। जैसे ही आप कोई बाह्य कमांड देते हैं, कमान्ड प्रोसेसर उसकी सम्बन्धित फाइल को डिस्क पर ढूंढता है और मिल जाने पर मैमोरी में लोड कर देता है । इसके साथ ही उस कमान्ड का पालन शुरू हो जाता है। एक्सटर्नल डॉस कमांड्स चलाने के लिए यह आवश्यक है कि इनका संस्करण वही होना चाहिए जो आपके एमएस-डॉस का है, नहीं तो ‘Incorrect Version’ का संदेश आएगा और कमांड रद्द हो जाएगी। एमएस-डॉस के मुख्य एक्सटर्नल डॉस कमांड्स निम्नलिखित हैं :- APPEND, DOSKEY, HELP, MOVE, SORT, ATTRIB, DOSSHELL, KEYB, MSAV, SYS, CHKDSK, EXPAND, LABEL, NLSFUNC, TREE, DELTREE, FASTOPEN, MEM, MSBACKUP, UNDELETE, DISKCOMP, FORMAT, MEMMAKER, PRINT, XCOPY, DISKCOPY, GRAPHICS, MORE, RESTORE
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