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Data Communication Networking Hindi

What is Data Communication Networking

डाटा कम्युनिकेशन क्या है?


Data Communication - An Introduction


डाटा कम्युनिकेशन क्या है?

कम्युनिकेशन क्या हैं? | What is Communication?

कम्युनिकेशन को हिंदी में संचार कहते हैं किसी जानकारी या सूचनाओं का आदान प्रदान करना संचार कहलाता है। किसी माध्यम से हम अपने जानकारी किसी दूसरे तक पहुंचाते हैं तो इसे संचार (Communication) कहते हैं। कम्युनिकेशन से किसी भी सूचना का आदान-प्रदान बहुत ही आसान तरीके से होता है।

Communication (संचार) का अर्थ सूचनाओं का आदान प्रदान करने से हैं। लेकिन कोई भी सूचना तब तक उपयोगी नहीं हो सकती जब तक कि इन सूचनाओं का आदान प्रदान न हो। जब दो या दो से अधिक व्यक्ति आपस में कुछ सार्थक चिह्नों, संकेतों या प्रतीकों के माध्यम से विचारों या भावनाओं का आदान-प्रदान करते हैं तो उसे कम्युनिकेशन या संचार कहते हैं।

हमारे पास कम्युनिकेशन के सबसे प्रबल माध्यम में हमारी आवाज और भाषा है और इसके वाहक के रूप में पत्र, टेलीफोन, फैक्स, टेलीग्राम, मोबाइल तथा इन्टरनेट इत्यादि हैं। पहले सूचनाओं या संदेश को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने में काफी समय लगता था, किन्तु वर्तमान में संदेशों का आदान प्रदान बहुत ही आसान हो गया है। सूचना प्रोद्योगिकी के कारण किसी भी सन्देश को कुछ ही सेकंड्स में सारी दुनिया में भेजा जाना मुमकिन हो गया है।

कम्युनिकेशन एवं सूचना प्रोद्योगिकी | Communication and Information Technology

कम्युनिकेशन का उद्देश्य संदेशो तथा विचारों का आदान प्रदान है। इस कम्युनिकेशन को तेज व सरल बनाने में सूचना प्रोद्योगिकी का महत्त्वपूर्ण योगदान है। कंप्यूटर, मोबाइल, कम्युनिकेशन डिवाइस एवं इन्टरनेट के द्वारा हम पूरी दुनिया में कही भी व किसी भी समय कम से कम समय एवं खर्च में सूचनाओं व विचारों का आदान प्रदान कर सकते हैं।

कम्युनिकेशन सिस्टम के लिए मूल रूप से तीन शब्दों का उपयोग किया जाता है:
     डाटा (Data)
     सूचना या इनफार्मेशन (Information)
     संकेत या सिग्नल (Signal)

डाटा (Data)

डाटा वह सामग्री है, जिसके माध्यम से सूचना / इनफार्मेशन को ट्रांसफर किया जाता है। डाटा किसी भी प्रकार का हो सकता है जैसे क्रमबद्ध संख्याएँ, टेक्स्ट, चित्र/इमेजेस, ऑडियो वीडियो आदि।

सूचना / इनफार्मेशन (Information)

सूचना / इनफार्मेशन: सूचना / इनफार्मेशन शब्द का का अर्थ है, डाटा की वेल्यू अथवा डाटा को किस तरह से समझा जा रहा है।

सिग्नल (Signal)

जिस माध्यम द्वारा डाटा भेजा अथवा प्राप्त किया जा रहा है वह सिग्नल कहलाता है, जैसे इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल्स जिनका प्रयोग किसी भौतिक माध्यम द्वारा डाटा प्रेषित करने के लिए किया जाता है। डाटा कम्यूनिकेशन सिस्टम का आउटपुट तीन विशेषताओं - डिलेवरी, एक्यूरेसी या शुद्वता और समयबद्वता पर निर्भर करती है।

डिलेवरी (Delivery)

डिलेवरी (Delivery) - सही गंतव्य पर डाटा की डिलेवरी और इसे केवल उसी डिवाईस या यूजर तक पहुँचना चाहिए जिसके लिए भेजा जा रहा हो।

शुद्धता (Accuracy)

शुद्धता (Accuracy)- डाटा एक्यूरेसी (शुद्धता) तथा पूर्णता के साथ डिलिवर होना चाहिए। ट्रांसमिशन के दौरान परिवर्तित हुआ अथवा अशुद्ध डाटा किसी काम का नहीं रहता है।

समयबद्वता (Timeliness)

समयबद्धता (Timeliness) - डाटा की डिलेवरी समयबबद्ध तरीके से हो जानी चाहिए। विलंब से डिलिवर होने वाले डाटा का कोई उपयोग नहीं रहता है। वीडियो और ऑडियो की स्थिति में, टाईमली डिलेवरी का अर्थ है, डाटा के तैयार होते ही इसे बिना किसी विलंब के उसी क्रम में डिलेवर हो जाना, जिस क्रम में वह जनरेट हुआ है। इस तरह की डिलेवरी को रीयल टाईम ट्रांसमिशन भी कहते है।

संचार प्रक्रिया| Communication Process

कम्युनिकेशन का मुख्य उद्देश्य डाटा व सूचनाओ का आदान प्रदान करना होता है| डाटा कम्युनिकेशन से तात्पर्य दो समान या विभिन्न डिवाइसों के मध्य डाटा का आदान प्रदान से है अर्थात कम्युनिकेशन करने के लिए हमारे पास समान डिवाइस होना आवश्यक है |

कम्युनिकेशन प्रोसेस क्या है?

संचार प्रक्रिया (Communication Process ) में सूचना का प्रेषक (Sender), सूचना का रिसीवर (Reciever), संचार के लिए उपयोग की जाने वाली भाषा (Medium), और संचार को स्थापित करने के लिए उपयोग किया जाने वाला माध्यम (Protocol) शामिल है। कंप्यूटर के बीच संचार भी एक समान प्रक्रिया का अनुसरण करता है। किसी कम्युनिकेशन प्रोसेस के 5 मुख्य तत्व (Element) होते हैं|
    संदेश (Message)
    प्रेषक (Sender)
    माध्यम (Medium)
    प्राप्तकर्ता (Receiver)
    प्रोटोकॉल (Protocol)

कम्युनिकेशन के प्रकार | Mode of Communication

जिस प्रकार सड़क पर वन वे ट्रेफिक या टू वे ट्रेफिक होता है, उसी प्रकार कम्युनिकेशन चैनल के मोड होते हैं। कम्युनिकेशन चैनल तीन प्रकार के होते हैं:-
    सिम्पलेक्स (Simplex),
    हाफ ड्यूप्लेक्स (Half Duplex)
    फुल ड्यूप्लेक्स (Full Duplex)|

Mode of Communication

सिम्पलेक्स (Simplex)

इस अवस्था में डाटा का संचरण सदैव एक ही दिशा में होता हैं| अर्थात हम अपनी सूचनाओ को केवल भेज सकते है प्राप्त नहीं कर सकते सिम्पलेक्स कम्युनिकेशन कहलाता हैं | उदाहरणार्थ- कीबोर्ड, कीबोर्ड से हम केवल सूचनाये भेज सकते है प्राप्त नहीं कर सकते |

अर्द्ध ड्यूप्लेक्स (Half Duplex)

इस अवस्था में डाटा का संचरण दोनों दिशाओ में होता है लेकिन एक समय में एक ही दिशा में संचरण होता है| यह अवस्था वैकल्पिक द्वि-मार्गी (Two way alternative) भी कहलाती है| अर्थात् इस अवस्था में हम अपनी सूचनाओ को एक ही समय में या तो भेज सकते है या प्राप्त कर सकते है| उदाहरणार्थ- हार्डडिस्क (Hard disk), हार्डडिस्क से डाटा का आदान प्रदान अर्द्ध ड्यूप्लेक्स (Half Duplex) अवस्था में होता है| जब हार्डडिस्क पर डाटा संगृहीत (Save) किया जाता है तो उस समय डाटा को हार्डडिस्क से पढ़ा नहीं जा सकता है और जब हार्डडिस्क से डाटा को पढ़ा जाता है तो उस समय हम डाटा को संगृहीत (Save) नहीं कर सकते |

पूर्ण ड्यूप्लेक्स (Full Duplex)

इस अवस्था में डाटा का संचरण एक समय में दोनों दिशाओं में संभव होता है हम एक ही समय में दोनों दिशाओ में सूचनाओं का संचरण कर सकते है | अर्थात हम एक ही समय में सूचनाएं भेज भी सकते है और प्राप्त भी कर सकते है पूर्ण ड्यूप्लेक्स (Full Duplex) कहलाता हैं | उदाहरणार्थ- Smart Phone

डेटा कम्यूनिकेशन / ट्रांसमिशन के माध्यम | Medium of Data Communication / Transmission

ट्रांसमिशन मीडियम / माध्यम से डाटा को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में भेजा जाता है। एक कंप्यूटर से टर्मिनल या टर्मिनल से कंप्यूटर तक डाटा भेजने अथवा प्राप्त करने के लिए किसी माध्यम (Medium) की आवश्यकता होती है जिसे कम्यूनिकेशन लाइन या डाटा लिंक कहते हैं। ट्रांसमिशन मीडियम निम्न प्रकार के होते हैं:–
    ट्विस्टेड पेयर केबल (Twisted Pair Cable)
    को-एक्सेल केबल (Coaxial-Cable)
    ऑप्टिकल फाइबर (Optical Fiber)
    माइक्रोवेव ट्रांसमिशन (Microwave Transmission)
    उपग्रह संचार (Satellite Communication)

ट्विस्टेड पेयर केबल (Twisted Pair Cable)

ट्विस्टेड पेयर केबल (Twisted Pair Cable) में प्लास्टिक या टेफ्लॉन जैसी इन्सुलेट सामग्री के साथ कॉपर वायर चार जोड़े / पेयर होते हैं, जो कि एक साथ मुड़ जाते हैं। तारों का घुमाव बाहरी स्रोतों से विद्युत चुम्बकीय हस्तक्षेप / इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटरफेरेंस को कम करता है। कम लागत की वजह से ट्विस्टेड पेयर केबलिंग का इस्तेमाल अक्सर डेटा नेटवर्क में शॉर्ट और मीडियम लेंथ कनेक्शन के लिए किया जाता है।

ट्विस्टेड पेयर केबल

ट्विस्टेड पेयर केबल दो प्रकार की होती है- शील्डेड ट्विस्टेड पेयर (एसटीपी) (Sheilded Twisted Pair), और अनशील्डेड ट्विस्टेड पेयर (यूटीपी) (Unsheilded Twisted Pair)।

शील्डेड ट्विस्टेड पेयर (एसटीपी) (Sheilded Twisted Pair) केबल में कॉपर वायर के पेयर और बाहरी आवरण के बीच एक मेटल फॉयल की एक अतिरिक्त परत होती है। यह मेटल फॉयल बाहरी हस्तक्षेप से अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करती है।

अनशील्डेड ट्विस्टेड पेयर (यूटीपी) (Unsheilded Twisted Pair) केबल 100 मीटर तक की कम दूरी पर डाटा कम्युनिकेशन के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला माध्यम है। UTP केबल में चार जोड़े तारों में से, केवल दो जोड़े संचार के लिए उपयोग किए जाते हैं। UTP केबल को विभिन्न श्रेणियों में परिभाषित किया गया है। आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला यूटीपी केबल कैट -5 (CAT-5) , कैट-6 (CAT-6) केबल हैं , जिनका उपयोग तेज ईथरनेट के साथ किया जाता है।

को-एक्सियल केबल (Coaxial-Cable)

को-एक्सियल केबल (Coaxial-Cable) में एक सिंगल इंटरनल कंडक्टर होता है जो विद्युत संकेतों को प्रसारित करता है; बाहरी कंडक्टर अर्थिंग के रूप में कार्य करता है। दो कंडक्टर इन्सुलेशन द्वारा अलग किए जाते हैं। यह उच्च गुणवत्ता के संचार के माध्यम है. ये जमीन या समुद्र के नीचे से ले जाए जाते हैं. इस कंडक्टर के ऊपर तार की एक जाली होती हैं जिसके भी ऊपर एक और कंडक्टर की परत होती हैं.

Coaxial-Cable

ये टेलिफोन तार की तुलना मे बहुत महंगा होता है पर ये अधिक डेटा को ले जा सकता है. इसका उपयोग केवल टीवी नेटवर्क या फिर कंप्यूटर नेटवर्क मे किया जाता हैं.

ऑप्टिकल फाइबर (Optical Fiber)

ऑप्टिकल फाइबर का उपयोग बड़ी दूरी पर जानकारी के प्रसारण के लिए किया जा रहा है. यह एक नई तकनीक हैं जिसमे धातु के तार या केबल के जगह विशिष्ट प्रकार के ग्लास फाइबर का उपयोग किया जाता हैं. ऑप्टिकल फाइबर विद्युत संकेतों के बजाय डेटा को प्रकाश संकेतों के रूप में प्रसारित करता है। ये बहुत ही हलकी और और बहुत ही तेजी से डाटा अदान प्रदान करने मे कारगर होती हैं. यह प्रकाश को आधार बना कर उसी के माध्यम से डाटा को भेजती है. यह पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करता हैं.

Optical Fiber Cable

एक ऑप्टिकल फाइबर केबल में तीन परतें होती हैं: कोर (CORE) - ऑप्टिकल फाइबर कंडक्टर (ग्लास) होता है जो प्रकाश को प्रसारित करता है. क्लैडिंग (CLADDING) - एक ऑप्टिकल मटेरियल जो कोर को बाहर निकलने से रोकने के लिए कोर को कवर करती है, और जैकेट (JACKET) - फाइबर को किसी भी होने वाले नुकसान से बचाने के लिए प्लास्टिक से बना बाहरी आवरण।

माइक्रोवेव ट्रांसमिशन (Microwave Transmission)

इस सिस्टम मे सिग्नल रेडियो सिग्नल की तरह संचारित किये जाते हैं. माइक्रोवेव ट्रांसमिशन एक माइक्रोवेव लिंक पर सूचना प्रसारित करने की तकनीक है। माइक्रोवेव में रेडियो तरंगों की तुलना में उच्च आवृत्ति की तरंगें होती है। सभी दिशाओं (जैसे रेडियो तरंगों) में प्रसारण के बजाय, माइक्रोवेव प्रसारण को एक ही दिशा में ट्रांसमिट किया जा सकता है।

Microwave Transmission

माइक्रोवेव का उपयोग करते समय ट्रांसमीटर और रिसीवर के बीच एक स्पष्ट मार्ग होता है। एक सिस्टम मे डाटा एक सीधी रेखा मे गमन करती है तथा एंटीना की भी आवश्कता होती हैं. लगभग तीस किलोमीटर पर एक रिले स्टेशन की भी जरुरत होती है. इसका उपयोग टीवी प्रसारण और सेल्युलर नेटवर्क मे किया जाता हैं. यह स्टैंडर्ड टेलिफोन लाइन और को-एक्सेल केबल की तुलना मे तीव्र गति से संचार अदान प्रदान करता हैं.

उपग्रह संचार (Satellite Communication)

उपग्रह के साथ रेडियो फ्रिक्वेंसी ट्रांसमिशन को मिलाकर लंबी दूरी तक संचार प्रदान किया जा सकता है। जियोसिंक्रोनस उपग्रहों को पृथ्वी की सतह के ऊपर 36,000 किमी की दूरी पर पृथ्वी के रोटेशन के साथ सिंक्रोनाइज़ की गई एक कक्षा में रखा गया है। पृथ्वी से देखे जाने पर जियोसिंक्रोनस उपग्रह स्थिर दिखाई देते हैं। उपग्रह में ट्रांसपोंडर होते हैं जो आरएफ संकेतों को प्राप्त कर सकते हैं और उन्हें एक अलग कोण पर जमीन पर वापस भेज सकते हैं। समुद्र के एक तरफ एक ग्राउंड स्टेशन उपग्रह को सिग्नल भेजता है जो बदले में समुद्र के दूसरी तरफ ग्राउंड स्टेशन को सिग्नल भेजता है. इसका उपयोग उपग्रह फोन, टीवी, इन्टरनेट और कई वैज्ञानिक कारण से किया जाता हैं.

पग्रह संचार (Satellite Communication)

उपग्रह संचार तीव्र गति के डेटा संचार का माध्यम है. यह लंबी दूरी के संचार के लिए आदर्श माना जाता हैं. अंतरिक्ष मे स्थित उपग्रह को जमीन पर स्थित स्टेशन से सिग्नल भेजा जाता है. उपग्रह उस सिग्नल का विस्तार कर दूसरे जमीनी स्टेशन को पुनः भेजता है. एक सिस्टम मे विशाल डेटा के समूह को कम समय मे अधिकतम दूरी पर भेजा जाता हैं.

















उपरोक्त नोट्स आपको डाटा कम्युनिकेशन क्या है, डाटा कम्युनिकेशन के प्रकार, डाटा कम्युनिकेशन की विधियाँ, कम्युनिकेशन के माध्यम , डाटा कम्युनिकेशन मीडियम आदि के बारे में जानकारी हेतु सहायक होंगे. अगले टॉपिक में कंप्यूटर नेटवर्किंग एवं टोपोलॉजी (Computer Communication) का अध्ययन करेंगे. 


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Computer Programming Language Hindi

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का परिचय

कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज क्या हैं?


Computer Programming Language - An Introduction


कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज क्या हैं? | What is Computer Programming Language?

भाषाएँ संचार का एक साधन हैं। सामान्यतः लोग लैंग्वेज का उपयोग करके एक दूसरे के साथ बातचीत करते हैं। इसी आधार पर लैंग्वेज द्वारा कम्प्यूटर के साथ संचार किया जाता है। यह लैंग्वेज उपयोगकर्ता और मशीन दोनों के द्वारा समझी जाती है। प्रत्येक लैंग्वेज की तरह जैसे कि अंग्रेज़ी, हिन्दी के अपने व्याकरण के नियम हैं, उसी प्रकार से प्रत्येक कम्प्यूटर लैंग्वेज भी नियमों द्वारा बँधी हुई है, जिन्हें उस लैंग्वेज का सिंटैक्स (Syntax) कहा जाता है। कम्प्यूटर से संचार करने के दौरान उपयोगकर्ता के लिए वे सिंटैक्स आवश्यक होते हैं।

 कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज क्या हैं?

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (Programming Language) में कुछ विशेष शब्द (Keywords) एवं उनको लिखने के नियम होते हैं, जो कम्प्यूटर को गणना और दिए गए कार्यों को पूर्ण करने के लिए होता है। प्रत्येक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में कीवर्ड का एक सेट और प्रोग्राम के अनुसार निर्देशों के लिए सिंटेक्स होता है।

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (Programming Language) को प्रोग्रामर (जो प्रोग्राम लिख रहा है) और कम्प्यूटर दोनों द्वारा समझा जाना चाहिए। एक कम्प्यूटर 0 और 1 की लैंग्वेज / मशीन लैंग्वेज को समझता है, जबकि प्रोग्रामर अंग्रेजी जैसी लैंग्वेज को आसानी से समझ सकता है। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज आमतौर पर उच्च स्तरीय भाषाओं जैसे COBOL, BASIC, FORTRAN, C, C ++, Java आदि को संदर्भित करती है।

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के प्रकार | Types of Programming Language

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (Programming Language) कई प्रकार की होती हैं। कुछ लैंग्वेज को हम समझ सकते हैं तथा कुछ को केवल कम्प्यूटर ही समझ सकता है। जिन भाषाओं को केवल कम्प्यूटर समझता है वे आमतौर पर निम्नस्तरीय लैंग्वेज (Low level Language) कहलाती है तथा जिन भाषाओं को हम समझ सकते है उन्हें उच्चस्तरीय लैंग्वेज (High level language) कहते है।

 प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के प्रकार

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (Programming Language) को मुख्य रूप से निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया गया है।
  लो लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (Low Level Programming Language)
  मशीन लैंग्वेज (Machine Language) एवं असेंबली लैंग्वेज (Assembly Language)
  हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (High Level Programming Language)

लो लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (Low Level Programming Language)

निम्नस्तरीय प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (Low level Programming Language) में दिए गए निर्देशों को मशीन कोड में बदलने के लिए किसी भी अनुवादक (Translator) की आवश्यकता नहीं होती है। लो लेवल लैंग्वेज कोड 0 और 1 की फॉर्म मे होते हैं जिन्हें बाइनरी कोड (Binary Code) कहा जाता है। लेकिन इनका उपयोग प्रोग्रामिंग (Programming) में करना बहुत ही कठिन है। इसका उपयोग करने के लिए कम्प्यूटर के हार्डवेयर (Hardware) के विषय में गहरी जानकारी होना आवश्यक है। यह प्रोग्रामिंग में बहुत समय लेता है और इसमें त्रुटियों (Error) की सम्भावना अत्यधिक होती है।

लो लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज दो प्रकार की होती हैं :
1- मशीन लैंग्वेज (Machine Language)
2- असेम्बली लैंग्वेज (Assembly Language)

मशीन लैंग्वेज (Machine Language)

मशीन लैंग्वेज (Machine Language) वह लैंग्वेज है जिसे कम्प्यूटर आसानी से समझ सकता है लेकिन प्रोग्रामर को समझना मुश्किल है। मशीन लैंग्वेज (Machine Language) में केवल संख्याएँ होती हैं। हर तरह के CPU की अपनी एक अलग मशीन की लैंग्वेज होती है।

मशीन लैंग्वेज (Machine Language) में लिखा गया एक प्रोग्राम बाइनरी अंकों या बिट्स का एक संग्रह है जिसे कम्प्यूटर पढ़ता है, समझता है, और व्याख्या करता है। इस प्रोग्राम को सीधे कम्प्यूटर के CPU द्वारा प्रोसेस किया जाता है। इसे मशीन कोड या ऑब्जेक्ट कोड के रूप में भी जाना जाता है। यह बाइनरी डिजिट 0 और 1 के रूप में लिखा जाता है। मशीन लैंग्वेज में लिखे गए प्रोग्राम की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  कम्प्यूटर सिस्टम (Computer System) सिर्फ अंको के संकेतो को समझाता है, जो कि बाइनरी डिजिट 1 या 0 होता है अत: कम्प्यूटर को निर्देश (Instruction) सिर्फ बाइनरी कोड 1 या 0 में ही दिया जाता है।

  कम्प्यूटर मशीन लैंग्वेज में लिखे गए प्रोग्राम को सीधे समझ सकता है। प्रोग्राम के अनुवाद की जरूरत नहीं है।

  मशीन लैंग्वेज में लिखे गए प्रोग्राम को कम्प्यूटर द्वारा बहुत तेज़ी से एक्सीक्यूट किया जा सकता है क्योंकि इसमें अनुवाद की आवश्यकता नहीं है।

  मशीन लैंग्वेज मशीन के लिए सरल होती है और प्रोग्रामर के लिए कठिन होती है।

  मशीन लैंग्वेज प्रोग्राम का रख रखाव भी बहुत कठिन होता है, क्योंकि इसमें त्रुटि (Error) की संभावनाएँ अधिक होती है।

  मशीन लैंग्वेज कम्प्यूटर के हार्डवेयर द्वारा परिभाषित की जाती है, यह कम्प्यूटर पर उपयोग किए जा रहे प्रोसेसर पर निर्भर करता है अतः एक कम्प्यूटर पर लिखा गया प्रोग्राम दूसरे कम्प्यूटर पर भिन्न प्रोसेसर के साथ काम नहीं कर सकता है।

  मशीन लैंग्वेज (Machine Language) प्रत्येक कम्प्यूटर सिस्टम पर अलग-अलग कार्य करती है, इसलिए एक कम्प्यूटर के कोड दूसरे कम्प्यूटर पर नही चल सकते। इसी लिए इसे मशीन डिपेंडेंट भी कहा जाता है।

  मशीन लैंग्वेज में प्रोग्राम लिखना मुश्किल है क्योंकि इसे बाइनरी कोड में लिखा जाना है। उदाहरण के लिए, 00010001 11001001। ऐसे कार्यक्रमों को संशोधित / परिवर्तित करना भी मुश्किल होता है।

असेंबली लैंग्वेज (Assembly Language)

असेंबली लैंग्वेज (Assembly Language), मशीन लैंग्वेज और उच्च-स्तरीय लैंग्वेज के बीच आती है। वे मशीन लैंग्वेज के समान हैं, लेकिन प्रोग्राम करने में आसान हैं, क्योंकि वे प्रोग्रामर को संख्याओं के स्थान पर कीवर्ड की अनुमति देते हैं।

असेंबली लैंग्वेज (Assembly Language) में लिखा गया प्रोग्राम किसी प्रोसेसर (सीपीयू) को प्रोग्राम करने के लिए आवश्यक मशीन कोड के सिम्बल्स / कीवर्ड का उपयोग करता है, जिसे सीपीयू निर्माता द्वारा डिफाइन किया जाता है, जो प्रोग्रामर को निर्देशों, रजिस्टर आदि को याद रखने में मदद करता है। असेम्बली लैंग्वेज में निर्देश अंग्रेजी के शब्दों के रूप में दिए जाते है, जैसे की NOV, ADD, SUB आदि, इसे न्यूमोनिक कोड (Mnemonic Code) कहते है ।

इसमें अंग्रेजी जैसे कीवर्ड जैसे LOAD, ADD, SUB आदि को प्रोग्राम में लिखने के लिए उपयोग किया जाता है। असेंबली लैंग्वेज (Assembly Language) में लिखे गए कार्यक्रम की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  असेंबली लैंग्वेज प्रोग्राम मशीन लैंग्वेज प्रोग्राम की तुलना में लिखना आसान होता है, क्योंकि असेंबली लैंग्वेज प्रोग्राम मशीन कोड के शॉर्ट, इंग्लिश जैसे कीवर्ड का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए:

ADD 2, 3

LOAD A 

SUB A, B

 असेंबली लैंग्वेज में लिखा गया प्रोग्राम सोर्स कोड है, जिसे मशीन कोड में बदलना होता है, जिसे ऑब्जेक्ट कोड भी कहा जाता है।

 असेंबली लैंग्वेज प्रोग्राम की प्रत्येक लाइन को मशीन कोड की एक या एक से अधिक लाइनों में बदला जाता है। इसलिए असेंबली लैंग्वेज प्रोग्राम भी मशीन पर निर्भर (Machine Dependent) हैं।

 असेंबली लैंग्वेज प्रोग्राम आम तौर हाई स्पीड एवं एफिशिएंसी के लिए तैयार किए जाते हैं ।

हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (High Level Programming Language)

लो लेवल लैंग्वेज़ के लिए हार्डवेयर के विस्तृत ज्ञान की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह मशीन निर्भर होती है। इन मुश्किलों को दूर करने के लिए हाई लेवल लैंग्वेज़ का विकास किया गया है, जो किसी भी समस्या को हल करने के लिए सामान्य और आसानी से समझे जाने योग्य अंग्रेजी के कीवर्ड एवं सेंटेंस का उपयोग करती है। हाई लेवल लैंग्वज़ कम्प्यूटर पर निर्भर नहीं होती है और इसमें प्रोग्रामिंग करना बहुत सरल होता है।

हाई लेवल लैंग्वेज़ (High Level Language) प्रोग्रामर के लिए समझना और उपयोग करना आसान है लेकिन कम्प्यूटर के लिए कठिन है। हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के प्रोग्राम को मशीन लैंग्वेज में परिवर्तित करने की आवश्यकता है ताकि कम्प्यूटर इसे समझ सके। ऐसा करने के लिए हाई लेवल प्रोग्राम को कंपाइल एवं ट्रांसलेट किया जाता है।

हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज

हाई लेवल लैंग्वेज की विशेषताएँ निम्न हैं :

 मशीन लैंग्वेज या असेंबली लैंग्वेज की तुलना में प्रोग्राम उच्च स्तरीय भाषाओं में लिखना, पढ़ना या समझना आसान है। C ++ या बेसिक में लिखा गया एक प्रोग्राम मशीन लैंग्वेज प्रोग्राम की तुलना में समझना आसान है।

 उच्च-स्तरीय भाषाओं में लिखे गए कार्यक्रम स्रोत कोड (Source Code) होते हैं जो ट्रांसलेटर या कम्पाइलर जैसे सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके ऑब्जेक्ट कोड / मशीन कोड में परिवर्तित हो जाते हैं।

 उच्च-स्तरीय भाषाओं में लिखे गए प्रोग्राम आसानी से एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में चलाए जा सकते हैं इसीलिए ये पोर्टेबल होते हैं।

तृतीय पीढ़ी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (Third Generation Programming Language) एवं चतुर्थ पीढ़ी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (Fourth Generation Programming Language)

तृतीय पीढ़ी भाषाएँ (Third Generation Language) पहली भाषाएँ थी जिन्होंने प्रोग्रामरो को मशीनी तथा असेम्बली भाषाओ में प्रोग्राम लिखने से आजाद किया। तृतीय पीढ़ी की भाषाएँ मशीन पर आश्रित नही थी इसलिए प्रोग्राम लिखने के लिए मशीन के आर्किटेक्चर को समझने की जरुरत नही थी । इसके अतिरिक्त प्रोग्राम पोर्टेबल हो गए, जिस कारण प्रोग्राम को उनके कम्पाइलर व इन्टरप्रेटर के साथ एक कम्प्यूटर से दुसरे कम्प्यूटर में कॉपी किया जा सकता था। तृतीय पीढ़ी के कुछ अत्यधिक लोकप्रिय भाषाओ में फॉरटरैन (FORTRAN), बेसिक (BASIC), कोबोल (COBOL), पास्कल (PASCAL), सी (C), सी++ (C++) आदि सम्मिलित है ।

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज

चतुर्थ पीढ़ी लैंग्वेज (Fourth Generation Language), तृतीय पीढ़ी के लैंग्वेज से उपयोग करने में अधिक सरल है । सामान्यत: चतुर्थ पीढ़ी की भषाओ में विजुअल (Visual) वातावरण होता है जबकि तृतीय पीढ़ी की भाषाओ में टेक्सचुअल (Textual) वातावरण होता था । विजुअल एनवायरनमेंट में, प्रोग्रामर बटन, लेबल तथा टेक्स्ट बॉक्स जैसे आइटमो को ड्रैग एवं ड्रॉप करने के लिए टूलबार का उपयोग करते है। इसकी विशेषता IDE (Integrated development Environment) हैं जो एप्लीकेशन कम्पाइलर (Application Compiler) तथा रन टाइम को सपोर्ट करते हैं। विजुअल स्टूडियो, जावा इसके उदाहरण है।

असेम्बलर, कम्पाइलर और इन्टरप्रिटर (Assembler, Compiler and Interpreter)

कम्प्यूटर, मशीन भाषा (Machine Language) के अलावा किसी अन्य कम्प्यूटर भाषा (Computer Language) में लिखे गए किसी भी प्रोग्राम को नहीं समझ पाता है अन्य भाषाओं में लिखे गए प्रोग्राम्स को क्रियान्वित (Execute) करने से पूर्व इन प्रोग्राम्स का अनुवाद (Translate) मशीन भाषा में करना आवश्यक होता है । इस तरह के अनुवाद (Translate) को सॉफ्टवेयर की सहायता से किया जाता है ऐसे प्रोग्राम / सॉफ़्टवेयर जो मशीन भाषा (Machine Language) के अतिरिक्त किसी अन्य भाषा में बने प्रोग्राम को मशीन भाषा में बदलते है ऐसे प्रोग्रामो को लेंगवेज ट्रांसलेटर (Language Translator) कहा जाता है। लैंग्वेज ट्रांसलेटर, सिस्टम सॉफ़्टवेयर की श्रेणी में आते हैं।

यह तीन प्रकार के होते हैं:-
     असेम्बलर (Assembler)
     कम्पाइलर (Compiler)
     इन्टरप्रेटर (Interpreter)

असेम्बलर (Assembler)

एक ऐसा प्रोग्राम जो एसेम्बली भाषा में लिखे प्रोग्राम को मशीन भाषा के प्रोग्राम में बदलता है उसे एसेम्बलर (Assembler) कहा जाता है।

प्रोग्राम एसेम्बलर

असेम्बलर, एसेम्बली भाषा में लिखे प्रोग्राम जिसे सोर्स कोड (Source Code) कहा जाता को मशीन कोड प्रोग्राम जिसे ऑब्जेक्ट कोड (Object Code) में अनुवादित (Translate) करता है।

कम्पाइलर (Compiler)

कम्पाइलर किसी कम्प्यूटर के सिस्टम साफ्टवेयर का भाग होता है। एक कंपाइलर एक कंप्यूटर प्रोग्राम है जो उच्च-स्तरीय भाषा (High Level Language) में लिखे गए प्रोग्राम को मशीन भाषा (Machine Language) में अनुवाद(Translate) करता है। उच्च-स्तरीय प्रोग्राम को 'सोर्स कोड' (Source Code) कहा जाता है। कंपाइलर को सोर्स कोड को मशीन कोड या कम्पाइल्ड कोड (Compiled Code) में अनुवाद करने के लिए उपयोग किया जाता है। कंपाइलर प्रोग्राम को चलाने (Execute) से पूर्व सम्पूर्ण सौर्स कोड को भाषा सम्बन्धी त्रुटियों जिन्हें सिंटेक्स एरर (Syntex Error) कहा जाता के लिए जांचा जाता है अगर कोई सिंटेक्स एरर आती है तो उसे दूर किया किया जाता है।
यह प्रक्रिया तब तक की जाती है जब तक की पूरा प्रोग्राम त्रुटि रहित (Error Free) नहीं हो जाता है। प्रोग्राम के त्रुटि रहित होने के बाद इसे इसे कम्पाइलर द्वारा कम्पाइल किया जाता है तथा ऑब्जेक्ट कोड (Object Code) / मशीन कोड (Machine Code) प्राप्त किया जाता है। कम्पाइलर द्वारा प्राप्त ऑब्जेक्ट कोड (Object Code) सामान्यतः EXE फाइल के रूप में होता है। ऑब्जेक्ट कोड प्राप्त होने के बाद इसे कम्पाइल किए बिना क्रियान्वित (Execute) / Run किया जा सकता है।

What is compiler?

हर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के लिए अलग-अलग कम्पाइलर होता है पहले वह हमारे प्रोग्राम के हर कथन या आदेश की जांच करता है कि वह उस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के व्याकरण के अनुसार सही है या नहीं ।यदि प्रोग्राम में व्याकरण की कोई गलती नहीं होती, तो कम्पाइलर के काम का दूसरा भाग शुरू होता है ।यदि कोई गलती पाई जाती है, तो वह बता देता है कि किस कथन में क्या गलती है । यदि प्रोग्राम में कोई बड़ी गलती पाई जाती है, तो कम्पाइलर वहीं रूक जाता है। तब हम प्रोग्राम की गलतियाँ ठीक करके उसे फिर से कम्पाइलर को देते हैं।

इन्टरप्रेटर (Interpreter)

इन्टरपेटर भी कम्पाइलर की भांति कार्य करता है। अन्तर यह है कि कम्पाइलर पूरे प्रोग्राम को एक साथ मशीनी लैंग्वेज में बदल देता है और इन्टरपेटर प्रोग्राम की एक-एक लाइन को मशीनी लैंग्वेज में परिवर्तित करता है। इंटरप्रेटर एक बार में प्रोग्राम की एक पंक्ति (Line) का अनुवाद करता है और इसे क्रियान्वित (Execute) करता है। फिर यह प्रोग्राम के अगली पंक्ति (line) को रीड करता है और अनुवाद करता है और इसे क्रियान्वित (Execute) करता है।

What is Interpreter?

कम्पाइलर के विपरीत, जो पहले प्रोग्राम को कम्पाइल करता है तथा फिर क्रियान्वित(Execute) करता है जबकि इंटरप्रेटर प्रोग्राम का लाइन दर लाइन अनुवाद करता है तथा साथ की साथ इसे क्रियान्वित(Execute)करता है।

कम्पाइलर और इन्टरप्रिटर में अन्तर (Difference between Compiler & Interpreter)

इन्टरप्रिटर उच्च स्तरीय लैंग्वेज में लिखे गए प्रोग्राम की प्रत्येक लाइन के कम्प्यूटर में प्रविष्ट होते ही उसे मशीनी लैंग्वेज में परिवर्तित कर लेता है, जबकि कम्पाइलर पूरे प्रोग्राम के प्रविष्ट होने के पश्चात उसे मशीनी लैंग्वेज में परिवर्तित करता है ।



















उपरोक्त नोट्स आपको कंप्यूटर की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज क्या है? प्रोग्रामिंग भाषाओ के प्रकार (Types of Programming Language), मशीन भाषा (Machine Language) असेम्बली लैंग्वेज (Assembly Language) हाई लेवल लैंग्वेज़ (High Level Language) असेम्बलर, कम्पाइलर और इन्टरप्रिटर आदि के बारे में जानकारी हेतु सहायक होंगे. अगले टॉपिक में कंप्यूटर कम्युनिकेशन (Computer Communication) का अध्ययन करेंगे. 

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What is Computer Software

कंप्यूटर सॉफ्टवेयर क्या हैं? | Computer Software Hindi Notes

कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का परिचय

Introduction to Compuer Softwares


कंप्यूटर सॉफ्टवेयर क्या हैं? | What is Computer Software?

सॉफ्टवेयर उन निर्देशों का एक समूह है जो कंप्यूटर को किए जाने वाले कार्यों एवं इन कार्यों को कैसे किया जाना है, के बारे में बताता है। कंप्यूटर प्रोग्राम निर्देशों का एक सेट है, जो कंप्यूटर द्वारा समझी जाने वाली भाषा में लिखा जाता है। प्रोग्राम्स और डाक्यूमेंट्स के समूह को सामूहिक रूप से सॉफ्टवेयर कहा जाता है। सॉफ्टवेयर कंप्यूटर प्रोग्राम्स का एक समूह है, जिसे किसी कार्य अथवा समस्या को हल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। कंप्यूटर प्रोग्राम एक विशेष समस्या को हल करने के लिए लिखे गए निर्देशों का एक क्रम है।

कंप्यूटर सॉफ्टवेयर क्या हैं?

सॉफ्टवेयर कंप्यूटर प्रोग्राम्स का एक समूह है, जिसे किसी कार्य अथवा समस्या को हल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। कंप्यूटर प्रोग्राम एक विशेष समस्या को हल करने के लिए लिखे गए निर्देशों का एक क्रम है।

कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के प्रकार | Types of Computer Software

कंप्यूटर सिस्टम का हार्डवेयर अपने आप कोई कार्य नहीं कर सकता है। किसी भी कार्य को करने के लिए हार्डवेयर को निर्देश देने की आवश्यकता है। सॉफ्टवेयर कंप्यूटर को निर्देश देता है कि वह किस कार्य को करेगा। विभिन्न प्रकार के कार्यों को करने के लिए सॉफ्टवेयर कंप्यूटर को बताता है कि कार्यों को कैसे करना है; हार्डवेयर इन कार्यों को करता है। विभिन्न प्रकार के कार्यों को करने के लिए विभिन्न सॉफ्टवेयर को एक ही हार्डवेयर पर लोड किया जा सकता है। सॉफ्टवेयर दो प्रकार के होते हैं :-
 सिस्टम सॉफ्टवेयर
 एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर

System Software & Application Software

सिस्टम सॉफ्टवेयर एवं एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर | System Software & Application Software

सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) आम तौर पर कंप्यूटर निर्माताओं द्वारा तैयार किया जाता है। इन सॉफ्टवेयर में निम्न-स्तरीय भाषाओं में लिखे गए प्रोग्राम शामिल होते हैं, जो बहुत ही बुनियादी स्तर पर हार्डवेयर के साथ कम्यूनिकेट करते हैं। सिस्टम सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर और उपयोगकर्ताओं (Users) के बीच इंटरफेस के रूप में कार्य करता है।

कंप्यूटर के बेसिक कार्य करने के लिए सिस्टम सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। कंप्यूटर के उपयोगकर्ता को कंप्यूटर का उपयोग करते समय, सिस्टम सॉफ्टवेयर के कार्यों के बारे ज्यादा जानकारी की आवश्यकता नहीं होती है। उदाहरण के लिए, यदि आपको किसी प्रिंटर से प्रिंट निकलना होता है तो कंप्यूटर में मौजूद उस प्रिंटर का डिवाइस ड्राइवर आपके प्रिंटिंग कार्य को पूरा करने के लिए हार्डवेयर डिवाइस के साथ इंटरैक्ट करता है। यदि किसी प्रिंटर का डिवाइस ड्राईवर कंप्यूटर में उपलब्ध नहीं है तो आपका प्रिंट नहीं निकल पाएगा लेकिन उपयोगकर्ता को किसी प्रिंटर पर प्रिंट करते समय डिवाइस ड्राइवर के बारे में जानने की आवश्यकता नहीं है।

डिवाइस ड्राइवर्स एक प्रकार का सिस्टम सॉफ़्टवेयर है जो विभिन्न हार्डवेयर के बीच कम्युनिकेशन करता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर का उद्देश्य कंप्यूटर के बेसिक कार्य करना, कंप्यूटर हार्डवेयर को नियंत्रित करना एवं कंप्यूटर उपयोगकर्ता, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर और कंप्यूटर हार्डवेयर के बीच एक इंटरफ़ेस के रूप में कार्य करना होता है।

System Software & Application Software

ऑपरेटिंग सिस्टम, डिवाइस ड्राइवर, और सिस्टम यूटिलिटीज कंप्यूटर मैनेजमेंट के लिए सिस्टम सॉफ्टवेयर हैं। जबकि प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, ट्रांसलेटर, कम्पाइलर, लिंकर एवं लोडर सॉफ्टवेयर एवं एप्लीकेशन डेवलपमेंट के लिए उपयोग किए जाते हैं

सिस्टम सॉफ्टवेयर, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के विकास के लिए आवश्यक सॉफ्टवेयर टूल प्रदान करता है। प्रोग्रामिंग भाषा सॉफ्टवेयर, ट्रांसलेटर सॉफ्टवेयर, लोडर और लिंकर को भी सिस्टम सॉफ्टवेयर के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो कि एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के लिए आवश्यक हैं।

ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर | Operating System Software

ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) कंप्यूटर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कंप्यूटर और कंप्यूटर हार्डवेयर के उपयोगकर्ता के बीच OS मध्यवर्ती है। विभिन्न प्रकार के एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर, कंप्यूटर के हार्डवेयर संसाधनों जैसे CPU, इनपुट / आउटपुट उपकरणों और मेमोरी का उपयोग करते हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) विभिन्न एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर और उपयोगकर्ताओं के बीच हार्डवेयर के उपयोग को नियंत्रित और समन्वयित करता है। यह एक इंटरफ़ेस प्रदान करता है जो उपयोगकर्ता को उपयोग करने के लिए सुविधाजनक है साथ ही कंप्यूटर सिस्टम के कुशल संचालन की सुविधा देता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम (OS)

ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) के प्रमुख कार्य हैं-
 यह उपयोगकर्ता और एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर को कार्य करने के लिए एक एनवायरनमेंट प्रदान करता है जिसमें आसानी से कार्य किया जा सके।
 यह कंप्यूटर के विभिन्न संसाधनों जैसे कि CPU शेड्यूलिंग, मेमोरी स्पेस, फ़ाइल स्टोरेज, I/O डिवाइस आदि को मैनेज करता है।
 अन्य प्रोग्राम या उपयोगकर्ताओं द्वारा कंप्यूटर के उपयोग के दौरान, ऑपरेटिंग सिस्टम CPU शेड्यूलिंग, मेमोरी मैनेजमेंट, फाइल मैनेजमेंट करता है।
 यह कमांड और ग्राफिकल इंटरफ़ेस के रूप में उपयोगकर्ता को एक सुविधाजनक इंटरफ़ेस प्रदान कर कंप्यूटर के उपयोग की सुविधा प्रदान करता है।

डिवाइस ड्राइवर्स सॉफ्टवेयर | Device Drivers Software

डिवाइस ड्राइवर (Device Drivers), हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर के बीच एक अनुवादक के रूप में कार्य करता है जो उपकरणों का उपयोग करता है। आमतौर पर कंप्यूटर से जुड़े कुछ डिवाइस जैसे - कीबोर्ड, माउस, हार्ड डिस्क, प्रिंटर, स्पीकर, माइक्रोफोन, जॉयस्टिक, वेब कैमरा, स्कैनर, डिजिटल कैमरा और मॉनिटर आदि को सही तरीके से काम करने के लिए, कंप्यूटर पर उससे संबंधित डिवाइस ड्राइवर को स्थापित किया जाना चाहिए।

उदाहरण के लिए, जब हम हार्ड डिस्क से डेटा पढ़ने के लिए कमांड देते हैं, तो कमांड को हार्ड डिस्क ड्राइवर को भेज दिया जाता है और इसका अनुवाद इस रूप में किया जाता है कि हार्ड डिस्क समझ सके। डिवाइस ड्राइवर सॉफ़्टवेयर को आमतौर पर संबंधित डिवाइस निर्माताओं द्वारा आपूर्ति की जाती है।

आजकल, ऑपरेटिंग सिस्टम कीबोर्ड, माउस, नेटवर्क कार्ड आदि आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले डिवाइस के लिए डिवाइस ड्राइवर प्रीलोडेड आते हैं। कुछ डिवाइस का ऑपरेटिंग सिस्टम स्वचालित रूप से डिवाइस ड्राईवर का पता लगा सकता है, ऐसे उपकरणों को प्लग एंड प्ले डिवाइस कहा जाता है।

सिस्टम यूटीलिटीज सॉफ्टवेयर | System Utilites Software

कंप्यूटर के रखरखाव के लिए सिस्टम यूटिलिटीज (System Utilities) सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। सिस्टम यूटिलिटीज का उपयोग कंप्यूटर में कुछ विशेष प्रकार के कार्य जैसे कि डिस्क मैनेजमेंट, फाइल मैनेजमेंट, सिस्टम क्लीन, टेम्पररी फाइल डिलीट करने आदि के लिए किया जाता है। कुछ सिस्टम यूटिलिटीज, ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ भी आती हैं और अन्य को बाद में भी जोड़ा जा सकता है।

सिस्टम यूटिलिटीज के कुछ उदाहरण हैं:
 वायरस के लिए कंप्यूटर को स्कैन करने के लिए एंटी-वायरस प्रोग्राम्स।
 फ़ाइलों को कंप्रेस करने के लिए डेटा कम्प्रेशन यूटिलिटीज प्रोग्राम्स।
 फ़ाइलों को एन्क्रिप्टेड और डिक्रिप्ट करने के लिए क्रिप्टोग्राफिक प्रोग्राम्स।
 डिस्क पार्टीशन एवं एक ड्राइव को कई लॉजिकल ड्राइव में बदलने के लिए पार्टीशन यूटिलिटीज।
 डिस्क पर स्टोर फाइल की प्रतिलिपि के लिए डाटा बैकअप।
 कंप्यूटर नेटवर्क की जांच करने के लिए नेटवर्क मैनेजमेंट प्रोग्राम।

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर | Application Software

किसी विशिष्ट कार्य को पूरा करने के लिए उपयोगकर्ता जिस सॉफ्टवेयर का उपयोग करता है, वह एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software) कहलाता है। एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर एक प्रोग्राम या प्रोग्राम का एक सेट हो सकता है। एक से अधिक प्रोग्राम का सेट जो विशिष्ट उद्देश्य के लिए आवश्यक कार्यक्षमता प्रदान करता है, सॉफ्टवेयर पैकेज कहलाता है। एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए लिखा जाता है- जैसे ग्राफिक्स प्रोग्राम, वर्ड प्रोसेसर, मीडिया प्लेयर, डेटाबेस एप्लिकेशन, कम्युनिकेशन प्रोग्राम, एकाउंटिंग पैकेज आदि।

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software) पैकेज के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:
 वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर : पत्र, रिपोर्ट, दस्तावेज तैयार करने के लिए MS-WORD, Writer, Wordpad आदि।
 इमेज प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर : फोटो एडिटिंग एवं ग्राफिक्स के लिए Adobe Photoshop, Corel PhotoPaint आदि।
 एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर: एकाउंट्स तैयार करने, वेतन, टैक्स के लिए Tally, Busy Accounting, आदि।
 स्प्रेडशीट सॉफ्टवेयर: बजट, टेबल आदि बनाने के लिए उपयोग किया जाता है उदा. Excel, Calc, Sheets आदि।
 प्रेजेंटेशन सॉफ्टवेयर: प्रस्तुतियाँ बनाने के लिए, स्लाइड शो जैसे- MS-PowerPoint, Impress, आदि।
 वेब ब्राउज़र सॉफ़्टवेयर: वर्ल्ड वाइड वेब के लिए इंटरनेट एक्सप्लोरर, फायरफॉक्स, क्रोम।

सॉफ़्टवेयर की उपलब्धता / सॉफ्टवेयर कैसे प्राप्त करें? | How to get Softwares?

कंप्यूटर उपयोगकर्ताओं (Users) के लिए अलग-अलग तरीकों से उपयोग के लिए विभिन्न प्रकार के सॉफ़्टवेयर उपलब्ध हैं। उपयोगकर्ता को सॉफ़्टवेयर खरीदना पड़ सकता है, इंटरनेट से मुफ्त में डाउनलोड कर सकता है, या हार्डवेयर के साथ प्राप्त कर सकता है। सॉफ्टवेयर को निम्न प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है।
 लाइसेंस सॉफ़्टवेयर (Licensed Software)
 OEM सॉफ्टवेयर (OEM Software)
 शेयरवेयर प्रोग्राम (Shareware Software)
  फ्रीवेयर सॉफ्टवेयर (Freeware Software)
 ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर (Open Source Software)

लाइसेंस सॉफ़्टवेयर (Licensed Software)

लाइसेंस सॉफ़्टवेयर किसी रिटेल स्टोर में बेचा जाने वाला सॉफ्टवेयर है। जिसे उपयोग करने के लिए उसका लाइसेंस लेना पड़ता है, जिसके लिए भुगतान करना होता है. लाइसेंस सॉफ़्टवेयर यूजर मैनुअल और इंस्टॉलेशन निर्देशों के साथ आता है। उदाहरण के लिए, माइक्रोसॉफ्ट विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस, टैली, फोटोशॉप आदि।

OEM सॉफ्टवेयर (OEM Software)

OEM "ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर" सॉफ्टवेयर को कंप्यूटर हार्डवेयर के साथ बेचा जाता है या हार्डवेयर के साथ बंडल किया जाता है। माइक्रोसॉफ्ट अपने ऑपरेटिंग सिस्टम को OEM सॉफ्टवेयर के रूप में हार्डवेयर डीलरों को बेचता है। OEM सॉफ्टवेयर मैनुअल, पैकेजिंग और इंस्टॉलेशन निर्देशों के बिना, कम कीमत पर बेचा जाता है। उदाहरण के लिए, डेल या एच पी कंप्यूटर या लैपटॉप "विंडोज" ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ प्रीलोड आते हैं।

शेयरवेयर प्रोग्राम (Shareware Software)

शेयरवेयर प्रोग्राम : निर्धारित समय के लिए मुफ्त में प्रयोग करने की अनुमति लाइसेंस के रूप में उपयोगकर्ता को मिलती है। इन्हें इंटरनेट से डाउनलोड किया जा सकता है। निर्धारित अवधि समाप्त हो जाने पर सॉफ़्टवेयर को खरीदना या अनइंस्टॉल करना चाहिए।

फ्रीवेयर सॉफ्टवेयर (Freeware Software)

फ्रीवेयर सॉफ्टवेयर प्रोग्राम्स व्यक्तिगत उपयोग के लिए मुफ्त है। इन्हें इंटरनेट से डाउनलोड किया जा सकता है। इस सॉफ़्टवेयर के व्यावसायिक उपयोग के लिए भुगतान लाइसेंस की आवश्यकता हो सकती है।

ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर (Open Source Software)

ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर : वह सॉफ्टवेयर जिनका सोर्स कोड उपलब्ध है और इसे निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार परिवर्तित किया जा सकता है। लिनक्स (Linux), अपाचे (Apache), फ़ायरफ़ॉक्स (Firefox), ओपनऑफ़िस ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर के कुछ उदाहरण हैं।

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Computer Hardware Parts Hindi Notes

Computer Hardware Parts Hindi Notes

कंप्यूटर हार्डवेयर - कंप्यूटर सिस्टम के महत्त्वपूर्ण पार्ट्स

Computer Hardware - Important Parts of Computer System


सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट/सिस्टम यूनिट के पार्ट्स

कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो दिए गए निर्देशों के पालन करता है। यह दिए गए निर्देशों का अनुसरण करता है और उसके अनुसार गणना करता है। कंप्यूटर विभिन्न कंपोनेंट्स से मिलकर बना होता है, इन कंपोनेंट्स को आवश्यकतानुसार अपनी सुविधा से उपयोग किया जा सकता है। ये कॉम्पोनेन्ट कंप्यूटर हार्डवेयर कहलाते हैं।
कंप्यूटर हार्डवेयर का तात्पर्य किसी कंप्यूटर के सभी फिजिकल पार्ट्स यानी भौतिक भागों से है। जिसमें सभी इनपुट डिवाइस, प्रोसेसिंग डिवाइस, स्टोरेज डिवाइस और आउटपुट डिवाइस होते हैं। कीबोर्ड, माउस, मदरबोर्ड, हार्डडिस्क, प्रिंटर - ये सभी हार्डवेयर के उदाहरण हैं। कंप्यूटर हार्डवेयर में कंप्यूटर के भौतिक भाग, जैसे कंप्यूटर केस / कैबिनेट, सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू), मॉनिटर, माउस, कीबोर्ड, कंप्यूटर डेटा स्टोरेज डिवाइस, ग्राफिक्स कार्ड, साउंड कार्ड, स्पीकर और मदरबोर्ड शामिल हैं।

कंप्यूटर सिस्टम के महत्त्वपूर्ण पार्ट्स | Important Parts of Computer System

कंप्यूटर हार्डवेयर को मुख्य रूप से निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है।
एक्सटर्नल हार्डवेयर | इनपुट / आउटपुट डिवाइस
इंटरनल हार्डवेयर | सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट / सिस्टम यूनिट के पार्ट्स

एक्सटर्नल हार्डवेयर (External Hardware) | इनपुट / आउटपुट डिवाइस (Input Output Device)

कम्‍प्‍यूटर हार्डवेयर के कुछ भाग कम्‍प्‍यूटर के लिए आवश्‍यक होते हैं जैसे की-बोर्ड, मॉनिटर, माउस इन्‍हें कम्‍प्‍यूटर के स्टैण्डर्ड डिवाइस कहते हैं। ये कंप्यूटर के बेसिक इनपुट आउटपुट डिवाइस होते हैं. इन डिवाइस के अलावा जो डिवाइस अन्य कार्यों हेतु कम्‍प्‍यूटर से जोड़े जाते हैं उन्‍हें पेरिफेरल डिवाइस (Peripheral device) कहते हैं, जैसे – प्रिन्‍टर, प्‍लाटर, जॉयस्टिक, लाइट पेन, ग्राफिक टेबलेट, आदि।

Computer Hardware Parts

 कंप्यूटर कंपोनेंट्स - कंप्यूटर हार्डवेयर के प्रमुख इनपुट आउटपुट डिवाइस निम्नानुसार हैं:  

    मॉनिटर (फ्लैट-पैनल, एलसीडी)
    कीबोर्ड
    माउस
    प्रिंटर
    स्पीकर

सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के मुख्य भाग | Main Parts of Central Processing Unit

इंटरनल हार्डवेयर (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट / सिस्टम यूनिट के पार्ट्स) - वे हार्डवेयर जो कि कंप्यूटर की सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट / सिस्टम यूनिट के अन्दर होते हैं वे इंटरनल हार्डवेयर कहलाते हैं. कंप्यूटर के इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स में मदरबोर्ड, प्रोसेसर, मेमोरी, स्टोरेज डिवाइस एवं अन्य इंटीग्रेटेड सर्किट्स (आईसी) शामिल हैं। ये सभी पार्ट्स कंप्यूटर कैबिनेट में असेम्‍बल किये जाते हैं। CPU कैबिनेट केस इंटरनल पार्ट्स को सुरक्षा प्रदान करता है। कंप्यूटर कैबिनेट में ही पॉवर सप्‍लाई (SMPS) भी लगाई जाती है जिससे मदबोर्ड एवं अन्य हार्डवेयर को पॉवर सप्लाई होती हैं। सिस्टम यूनिट के फ्रंट पैनल में निम्नानुसार स्टार्ट बटन, रिसेट बटन, सी डी ड्राइव, यू एस बी पोर्ट, ऑडियो जैक इत्यादि होते हैं. इसी प्रकार इसके बैक पैनल में पॉवर सप्लाई, मदर बोर्ड, विभिन्न कनेक्टर एवं पोर्ट्स होते हैं।

सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट/सिस्टम यूनिट के पार्ट्स

सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के मुख्य पार्ट्स हैं :-
 मदरबोर्ड (Motherboard)
 माइक्रो प्रोसेसर (Micro Processor)
 रैंडम एक्सेस मेमोरी (Random Access Memory)
 हार्ड डिस्क ड्राइव (Hard Disk Drive)
 सी डी / डी वी डी ड्राइव (CD/DVD Drive)
 पॉवर सप्लाई (Power Supply)
 एक्सपेंसन स्लॉट्स (Expansion Slots)
 पोर्ट्स एंड कनेक्टर (Ports and Connectors)

मदरबोर्ड (Motherboard)

मदरबोर्ड (Motherboard) मदर बोर्ड एक बड़ा बोर्ड है जिसमें कई छोटे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट और पार्ट्स होते हैं। मदरबोर्ड एक प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (PCB) है जो कंप्यूटर की नींव है इसमें सीपीयू, रैम और अन्य सभी कंप्यूटर हार्डवेयर पार्ट्स होते हैं जो एक दूसरे के साथ काम करते हैं. मदरबोर्ड पूरे सिस्टम का प्राइमरी पार्ट है। सभी पेरिफेरल डिवाइस भी मदरबोर्ड से जुड़े होते हैं, इसके लिए इसमें विभिन्न पोर्ट्स एवं कनेक्टर दिए गए हैं।

Inside the CPU_Motherboard

माइक्रो प्रोसेसर (Micro Processor)

प्रोसेसर (Processor) प्रोसेसर (सीपीयू, सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के लिए) कंप्यूटर का मस्तिष्क है। यह सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) का मुख्य पार्ट है जो सिस्टम के बुनियादी अंकगणितीय, तार्किक और इनपुट / आउटपुट संचालन को निष्पादित करके कंप्यूटर प्रोग्राम के निर्देशों को पूरा करता है।
कंप्यूटर प्रोसेसर उन निर्देशों को प्रोसेस करते हैं जो इसे मेमोरी जैसे सोर्स से सप्लाई किए जाते हैं। यह संख्यात्मक डेटा (न्यूमेरिकल डाटा) एवं लॉजिकल इनफार्मेशन की प्रोसेसिंग करता है।

सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के पार्ट्स माइक्रो प्रोसेसर

विश्व में मुख्यत: दो बड़ी माइक्रोप्रोसेसर उत्पादक कंपनियां है:- इंटेल (INTEL) और ए.एम.डी.(AMD)। इनमें से इन्टैल कंपनी के प्रोसेसर अधिक प्रयोग किये जाते हैं। प्रत्येक कंपनी प्रोसेसर की तकनीक और उसकी क्षमता के अनुसार उन्हे अलग अलग कोड नाम देती हैं, जैसे इंटेल कंपनी के प्रमुख प्रोसेसर हैं पैन्टियम -1, पैन्टियम -2, पैन्टियम -3, पैन्टियम -4, कोर 2 डुयो, कोर i3, कोर i5, कोर i7 आदि।
उसी तरह ए.एम.डी. कंपनी के प्रमुख प्रोसेसर हैं के-5, के-6, ऐथेलॉन आदि। माइक्रोप्रोसेसर की क्षमता हर्ट्ज़ में नापी जाती है। प्रोसेसर 32 एवं 64 बिट के होते हैं।

कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory)

कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory) मुख्य रूप से से दो प्रकार की मेमोरी का कंप्यूटर (पीसी) में उपयोग किया जाता है।
 प्राइमरी मेमोरी - ROM और RAM
 सेकेंडरी मेमोरी - हार्ड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क, मैग्नेटिक टेप, सीडी आदि।

प्राइमरी मेमोरी - Read Only Memory (ROM )

प्राइमरी मेमोरी ROM (रीड ओनली मेमोरी) एक नॉन वोलेटाइल मेमोरी है जिसमें बेसिक इनपुट आउटपुट सिस्टम (BIOS) प्रोग्राम और हार्डवेयर सेटिंग्स शामिल होते हैं। यह मदर बोर्ड में ROM BIOS चिप के रूप में मौजूद रहती है. जिसे रीड ओनली मेमोरी बेसिक इनपुट-आउटपुट सिस्टम कहा जाता है।

कंप्यूटर BIOS

कंप्यूटर पर, BIOS में सामान्य हार्डवेयर जैसे कीबोर्ड, माउस, मॉनिटर, हार्ड डिस्क आदि को कण्ट्रोल करने के लिए आवश्यक कमांड्स सेव रहती हैं, ऑपरेटिंग सिस्टम के लोड होने के पूर्व यह कंप्यूटर को स्टार्ट करने का कार्य करता है।

प्राइमरी मेमोरी - Random Access Memory (RAM)

प्राइमरी मेमोरी - RAM (रैंडम एक्सेस मेमोरी) एक वोलेटाइल मेमोरी है जिसका उपयोग उपयोगकर्ता डेटा को अस्थायी रूप से तब करता है जब CPU किसी इनफार्मेशन को प्रोसेस कर रहा होता है। RAM में एक छोटे सर्किट बोर्ड पर कई चिप्स होते हैं। दो प्रकार के मेमोरी चिप्स- सिंगल इन-लाइन मेमोरी मॉड्यूल (SIMM) और डुअल इन-लाइन मेमोरी मॉड्यूल (DIMM) डेस्कटॉप कंप्यूटर में उपयोग किए जाते हैं।

सिंगल इन-लाइन मेमोरी मॉड्यूल SIMM डुअल इन-लाइन मेमोरी मॉड्यूल DIMM

RAM की क्षमता मेगाबाइट अथवा गीगाबाइट में मापी जाती है, वर्तमान में पर्सनल कंप्यूटर में 2 GB से लेकर 16 GB तक की मेमोरी प्रयोग की जा रही हैं, आवश्यकता अनुसार इन्हें बढ़ाया भी जा सकता है।
इसे लगाने के लिए मदर बोर्ड में मेमोरी स्लॉट्स - SIMM या DIMM का प्रयोग किया जाता है जो निम्न प्रकार के होते हैं :
• SIMM- सिंगल इनलाइन मेमोरी मॉड्यूल - 32 या 72 पिन
• DIMM- डबल इनलाइन मेमोरी मॉड्यूल - 168 पिन।

(Complementary Metal Oxide Semiconductor) CMOS बैटरी

Complementary Metal Oxide Semiconductor (कम्प्लीमेंट्री मेटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर) CMOS बैटरी आमतौर पर एक कंप्यूटर मदरबोर्ड पर कम मेमोरी के लिए के लिए उपयोग किया जाता है जो BIOS सेटिंग्स को स्टोर करता है। अधिकांश सीएमओएस बैटरी एक मदरबोर्ड पर 4-5 साल तक चलती है।

CMOS बैटरी

लेकिन कभी-कभी इसे बदलने की आवश्यकता होती है जब कम्प्यूटर गलत तारीख और समय दर्शाना शुरू कर देता है. यह सीएमओएस बैटरी के ख़राब होने का प्रमुख संकेत हैं।

स्टोरेज डिवाइस (Storage Device)

स्टोरेज डिवाइस (Storage Device) या डिस्क ड्राइव कंप्यूटर कैबिनेट के अंदर मौजूद होते हैं। सामान्य रूप से यह हार्ड डिस्क ड्राइव, फ्लॉपी ड्राइव, सीडी ड्राइव या डीवीडी ड्राइव होते हैं। ये स्टोरेज डिवाइस स्थायी रूप से बड़ी मात्रा में डेटा स्टोर कर सकते हैं।
स्टोरेज ड्राइव - हार्ड डिस्क ड्राइव, ऑप्टिकल ड्राइव (CD/DVD) और फ्लॉपी ड्राइव सभी केबल के माध्यम से मदरबोर्ड से कनेक्ट होते हैं और कंप्यूटर केस / कैबिनेट के अंदर माउंट होते हैं।

आईडीई (IDE) और एसएटीए (SATA)

ये ड्राइव आईडीई (IDE) और एसएटीए (SATA) केबल्स के द्वारा मदरबोर्ड से जुड़ते हैं। वर्तमान में पुराने आईडीई कनेक्शन की अपेक्षा SATA (सीरियल एडवांस टेक्नोलॉजी अटैचमेंट) केबल का उपयोग किया जा रहा है जो तेजी से हार्ड ड्राइव एक्सेस प्रदान करता है।

हार्ड डिस्क (Hard Disk)

हार्ड‍ डिस्‍क का इस्‍तेमाल कम्‍प्‍यूटर में सेकेंड्री मेमोरी / स्टोरेज डिवाइस के तौर पर होता हैं और यह कम्‍प्‍यूटर का सबसे भरोसेमंद स्‍टोरेज माध्‍यम हैं। वर्तमान समय में इसकी क्षमता गीगाबाइट से भी आगे निकल गई हैं। यह एक चुंबकीय भंडारण (मैग्नेटिक स्टोरेज) डिवाइस है, जिसमें बड़ी मात्रा में डेटा स्टोर किया जाता है।

 हार्ड डिस्क (Hard Disk)

तकनीक की वजह से इसका आकार कम होता जा रहा हैं और डेटा स्‍टोर करने की क्षमता बढ़ती जा रही हैं। इसे कम्‍प्‍यूटर के मदरबोर्ड में लगी आईडीई या SATA पोर्ट से जोड़ते हैं।

कॉम्पैक्ट डिस्क / डीवीडी ड्राइव (Compact Disk / DVD Drive)

यह ऑप्टिकल स्टोरेज डिवाइस है, जो डेटा को पढ़ने और लिखने के लिए LASER बीम का उपयोग करता है। CD / DVD ड्राइव को मदरबोर्ड पर IDE कंट्रोलर अथवा SATA कंट्रोलर से जोड़ा जा सकता है। इस समय 52X तक की सीडी ड्राइव को इस्‍तेमाल किया जाता हैं।

कॉम्पैक्ट डिस्क / डीवीडी ड्राइव

डीवीडी ड्राइव, सीडी ड्राइव को एडवांस संस्‍करण हैं। इसका आकार सीडी जितना ही होता हैं लेकिन इसकी क्षमता कई सीडी के बराबर होती हैं। डीवीडी ड्राइव एवं सीडी ड्राइव एक समान ही होती हैं।

पॉवर सप्‍लाई (Power Supply)

पॉवर सप्‍लाई (Power Supply) जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, पीसी (पर्सनल कंप्यूटर) को संचालित करने के लिए आवश्यक इलेक्ट्रिसिटी प्रदान करती है। यह बिजली की स्टैण्डर्ड 110 वोल्ट एसी बिजली लेती है और +/- 12-वोल्ट, +/- 5-वोल्ट और 3.3-वोल्ट डीसी बिजली में परिवर्तित हो जाती है। बिजली आपूर्ति कनेक्टर में 20-पिन हैं, और कनेक्टर केवल एक दिशा में जा सकता है।
इसकी क्षमता 200 वाट से लेकर 450 वाट तक हो सकती हैं। पॉवर सप्लाई यूनिट पावर प्रोटेक्शन डिवाइस के माध्यम से AC पावर से DC पॉवर में कन्वर्ट करता है। इसे स्विच्ड मोड पावर सप्लाई (SMPS) के रूप में जाना जाता है। SMPS के केबल कनेक्टर से फ्लॉपी ड्राइव, हार्ड डिस्क ड्राइव, मदरबोर्ड एवं अन्य इंटरनल पार्ट्स को आवश्यक वोल्टेज प्रदान करता है। SMPS में एक छोटा फेन भी लगा होता है, जिसका कार्य SMPS की कूलिंग करना होता है।

एक्सपेंशन स्लॉट (Expansion Slot)

एक्सपेंशन स्लॉट (Expansion Slot) कंप्यूटर मदर बोर्ड के अंदर स्थित वह स्लॉट है जो अतिरिक्त पेरिफेरल डिवाइस को इससे जुड़ने / कनेक्ट करने की सुविधा देता है। एक्सपेंशन स्लॉट के कई प्रकार के होते हैं:

 एक्सपेंशन स्लॉट (Expansion Slot)

ISA (इंडस्ट्री स्टैंडर्ड आर्किटेक्चर) स्लॉट :

यह एक्सपेंशन बस का स्टैंडर्ड आर्किटेक्चर है। मदरबोर्ड में ISA कार्ड को जोड़ने के लिए कुछ स्लॉट हो सकते हैं। इसे मॉडेम, ऑडियो डिवाइस और अन्य इनपुट उपकरणों को जोड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है।

PCI स्लॉट:

पीसीआई बस का उपयोग I / O उपकरणों को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए किया जाता है। वर्तमान में PCI बस ने ISA बस की जगह ले ली है। मदरबोर्ड में एक से अधिक पीसीआई स्लॉट होते हैं। ऑडियो, वीडियो और ग्राफिक्स को जोड़ने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है। वे ISA कार्ड्स की तुलना में बहुत तेज हैं, जो बाह्य उपकरणों को सीपीयू का उपयोग किए बिना सीधे सिस्टम मेमोरी तक पहुंचने की अनुमति देता है।

AGP (Accelerates Graphics Port) स्लॉट:

AGP एक वीडियो ग्राफ़िक्स कार्ड को कंप्यूटर के मदरबोर्ड से जोड़ने के लिए एक हाई-स्पीड पॉइंट-टू-पॉइंट चैनल है। यह हाई ग्राफ़िक्स एवं 3-डी एनीमेशन, गेमिंग के लिए प्रयोग किया जाता है.वर्तमान में यह इनबिल्ट मेमोरी एवं प्रोसेसर के साथ भी आता है.

पेरिफेरल कनेक्टर (Peripheral Connectors)

पेरिफेरल कनेक्टर (Peripheral Connectors) मदरबोर्ड में एक निश्चित संख्या में I/O सॉकेट होते हैं जो कंप्यूटर के पीछे की तरफ पाए जाने वाले पोर्ट और इंटरफेस से जुड़े होते हैं। पेरिफेरल डिवाइस को इन पोर्ट्स एवं इंटरफेस से जोड़ सकते हैं, जो कंप्यूटर के मदरबोर्ड से जुड़े होते हैं। ये पोर्ट कंप्यूटर कैबिनेट के पीछे एक कनेक्टर होता है जिससे आप डिवाइस जैसे प्रिंटर, कीबोर्ड, स्कैनर, मॉडेम आदि में प्लग करते हैं। कंप्यूटर पोर्ट को आमतौर पर इनपुट/आउटपुट पोर्ट (I/O पोर्ट) के रूप में भी जाना जाता है।

पॉर्ट्स पेरिफेरल कनेक्टर

अधिकांश कनेक्टर अलग अलग होते हैं, जिससे इन्हें केबल के माध्यम से आसानी से सही दिशा में प्लग किया जा सकता है। कंप्यूटर पोर्ट को कम्युनिकेशन पोर्ट भी कहा जाता है क्योंकि यह कंप्यूटर और उसके पेरिफेरल डिवाइस के बीच संचार के लिए जिम्मेदार है। ये निम्न प्रकार के होते हैं :

PS / 2 पोर्ट:

PS / 2 कनेक्टर को माउस और कीबोर्ड को जोड़ने के लिए IBM द्वारा विकसित किया गया है। यह आईबीएम के पर्सनल सिस्टम / कंप्यूटर की 2 श्रृंखला के साथ पेश किया गया था और इसलिए इसका नाम PS / 2 कनेक्टर है। PS / 2 कनेक्टर को कीबोर्ड के लिए बैंगनी (Violet) और माउस के लिए हरे (Green) रंग का उपयोग किया जाता है।

सीरियल एवं पैरेलल पोर्ट (Serial and Parallel Port)

सीरियल पोर्ट और पैरेलल पोर्ट प्रिंटर और अन्य एक्सटर्नल उपकरणों के कनेक्शन के लिए प्रयोग किए जाते हैं। पैरेलल पोर्ट, सीरियल पोर्ट, और वीडियो पोर्ट सभी "D" प्रकार कनेक्टर (DB-25M, DB-9M, DB-15F) का उपयोग करते हैं। इन्हें उनके आकार के कारण डी कनेक्टर्स कहा जाता है. वर्तमान में यूनिवर्सल सीरियल बस (USB) के कारण इनका उपयोग लगभग समाप्त हो गया है.
किसी भी सीरियल डिवाइस को जोड़ने के लिए 9 पिन डी टाइप सीरियल पोर्ट का उपयोग किया जाता है।
25 पिन डी प्रकार महिला पोर्ट का उपयोग प्रिंटर को जोड़ने के लिए किया जाता है।
15 पिन डी टाइप महिला कनेक्टर का उपयोग जॉयस्टिक जैसे उपकरणों को जोड़ने के लिए किया जाता है।

यूएसबी(यूनिवर्सल सीरियल बस) (Universal Serial Bus)

यूनिवर्सल सीरियल बस (USB) ने सीरियल पोर्ट, पैरेलल पोर्ट, PS/2 कनेक्टर्स, गेम पोर्ट सभी का स्थान ले लिया है। USB पोर्ट का उपयोग डेटा ट्रांसफर करने के लिए किया जा सकता है, यह बाह्य उपकरणों के लिए एक इंटरफ़ेस के रूप में कार्य करता है और यहां तक कि इससे जुड़े उपकरणों के लिए बिजली की आपूर्ति के रूप में भी कार्य करता है। कीबोर्ड, माउस, डिजिटल कैमरा, वेब कैमरा, स्कैनर और प्रिंटर जैसे उपकरण को यूएसबी पोर्ट के माध्यम से आसानी से मदरबोर्ड से जोड़ा जा सकता है। USB में कई विशेषताएं हैं जो इसे लोकप्रिय बनाती हैं। USB डिवाइस Swappable है जिसके कारण इसे कंप्यूटर सिस्टम को बंद किए बिना ही किसी डिवाइस को इससे जोड़ सकते हैं या निकाल सकते हैं।
तीन प्रकार के यूएसबी पोर्ट होते हैं: टाइप ए, टाइप बी या मिनी यूएसबी और टाइप सी माइक्रो यूएसबी।

LAN (लोकल एरिया नेटवर्क) पोर्ट:ी

LAN पोर्ट का उपयोग पीसी को लोकल नेटवर्क या हाई स्पीड इंटरनेट सेवाओं से जोड़ने के लिए किया जाता है। इसे आरजे 45 (RJ-45) / लैन / ईथरनेट पोर्ट भी कहा जाता है।

वीजीए (वीडियो ग्राफिक्स एरे) Video Graphics Array (VGA)

वीजीए पोर्ट कई कंप्यूटर, प्रोजेक्टर, वीडियो कार्ड और हाई डेफिनिशन टीवी में पाया जाता है। यह एक डी-सब कनेक्टर है जिसमें 3 पंक्तियों में 15 पिन होते हैं। कनेक्टर को DE-15 कहा जाता है।वीजीए पोर्ट कंप्यूटर और पुराने CRT मॉनिटर के बीच का मुख्य इंटरफ़ेस है। यहां तक ​​कि आधुनिक एलसीडी और एलईडी मॉनिटर वीजीए पोर्ट्स को सपोर्ट करते हैं लेकिन इनकी पिक्चर क्वालिटी कम होती है।

हाई डेफिनिशन मीडिया इंटरफ़ेस HDMI

एचडीएमआई हाई डेफिनिशन मीडिया इंटरफ़ेस का संक्षिप्त नाम है। एचडीएमआई हाई डेफिनिशन और अल्ट्रा हाई डेफिनिशन डिवाइस जैसे कंप्यूटर मॉनिटर, एचडीटीवी, ब्लू-रे प्लेयर, गेमिंग कंसोल, हाई डेफिनिशन कैमरा आदि को जोड़ने के लिए एक डिजिटल इंटरफ़ेस है। एचडीएमआई का उपयोग वीडियो और ऑडियो सिग्नल्स प्रसारित करने के लिए किया जा सकता है। एचडीएमआई कनेक्टर में 19 पिन होते हैं और एचडीएमआई का नवीनतम संस्करण यानी एचडीएमआई 2.0 डिजिटल वीडियो सिग्नल को 4096 × 2160 और 32 ऑडियो चैनलों के रिज़ॉल्यूशन तक ले जा सकता है।

ऑडियो पोर्ट (Audio Port)

साउंड स्पीकर्स और माइक्रोफोन को जोड़ने के लिए ऑडियो प्लग (लाइन-इन, लाइन-आउट और माइक्रोफोन)। यह कनेक्टर साउंड कार्ड के साथ इंटरफेस करता है। कंप्यूटर सिस्टम में इनके लिए अलग अलग कलर कोड भी प्रयोग किया जाता है।









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